प्रस्तुत पोस्ट में हम आपके साथ एक कहानी शेयर करने जा रहे हैं. इस कहानी का नाम है बेचारा कंजूस – Bechara Kanjus Hindi Story. कहानी कुछ इस प्रकार है.
बेचारा कंजूस हिंदी कहानी
एक आदमी बड़ा ही कंजूस और शक्की था. उसे हर वक्त बस यही चिंता लगी रहती थी कि हो ना हो कोई उसका सारा धन चुरा लेगा. कुछ सोच कर उसने अपनी सारी संपत्ति और जगह जमीन बेचकर और उसके बदले में एक सोने की ईंट खरीद ली, उसने सोने की ईट को घर से थोड़ी दूर पर जमीन में गाड़ दिया. अब उसका एक ही नियम था – वह रोज सुबह उठता और उस जमीन के पास जाकर उसमें गाड़ी गई सोने की ईट को निकालता, अपनी आंखों से उसे अच्छी तरह देख कर तसल्ली कर लेता फिर दोबारा उसे वही गाड़ देता था.
उसकी इस गतिविधि को एक व्यक्ति रोज देखा करता था. उस आदमी ने देखा कि रोज रोज या कंजूस आदमी यहां आकर गड्ढा खोदकर क्या करता है. वह उसकी सच्चाई का पता लगाने की सोचा. उसे जल्दी ही पता चल गया कि यहां उसने सोने की ईट गाड़ी है. एक दिन वह कंजूस आदमी रोज की तरह सोने की ईट को गड्ढा खोदकर देखने के बाद फिर से वही गाड़ कर चला गया. कुछ देर बाद वह आदमी भी वहां पहुंच गया. उसने झट से उस सोने की ईट को निकाली और गड्ढे को पुनः उसी तरह भरकर चलता बना.
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अगले दिन वह कंजूस आदमी फिर उसी जगह गया. उसने गड्ढा खोदकर देखा तो वहां ईट नहीं थी. इस बात से उतना इतना धक्का लगा जैसे छाती फट जाएगी. दुखी होकर वह सिर पीट पीटकर चिल्ला चिल्ला कर रोने लगा.
जब उसके पड़ोसी ने उसकी यह हालत देखी. सारी बात पता चलने के बाद उसने उस कंजूस आदमी को उसी सोने की ईट के आकार का एक बड़ा सा पत्थर देते हुए कहा – “लो भाई इस पत्थर को यहां इस गड्ढे में गाड़ दो तुम इसे ही सोना समझकर रोज-रोज देखना और तसल्ली कर लेना. वैसे भी तुम्हारे लिए उस सोने और इस पत्थर दोनों में क्या फर्क है.” धन का महत्व उसे खर्च करने में है वरना सोने और पत्थर में कोई ज्यादा अंतर नहीं है.
साथियो, यह कहानी बहुत ही छोटी है और सीधी है. इसमें समझने वाली बात यह है कि लोग धन को इस प्रकार ना रखें कि वह उनके लिए पीड़ा बन जाए. धन हमारे भविष्य के लिए जरूरी होता है और यही वजह है कि लोग अपने आने वाले समय को सुरक्षित रखने के लिए धन का संचय करते हैं. बैंक में जमा रखते हैं, म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं, जगह खरीदते हैं, जमीन खरीदते हैं, फ्लैट खरीदते हैं और जहां भी उन्हें लगता है कि इन्वेस्ट करने से दो पैसे कमाएंगे लोग जरूर लगाते हैं.
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इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि हम अपने जीवन को पैसे को बचाने के फिराक में दुखदाई बना ले. हमारे जीवन में एक समन्वय होना चाहिए. हम अपने वर्तमान को अच्छा रखते हुए भविष्य के लिए धन जरूर बचाएं, लेकिन अपने वर्तमान को खराब कर भविष्य के लिए धन संजोना बेवकूफी के सिवा और कुछ भी नहीं है.
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