प्रस्तुत पोस्ट में राम राज्य का एक दृष्टान्त दिया गया है जिसका शीर्षक है Ram Rajya Story in Hindi यानी ऐसा था राम राज्य। आशा करता हूँ कि आपको पसंद आएगा।
ऐसा था रामराज्य
एक बार की बात है। राज भोज अपने सभासदों के साथ राज दरबार में बैठे थे। वे इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि क्या मेरा राज्य और प्रशासन राम राज्य से कम है? क्या हम अपने शासन के दौरान राम राज्य स्थापित करने में सफल हुए या नहीं?

श्री राम दरबार की झांकी
राजा भोज की यह बात सुनकर उनके सभासदों ने उनकी प्रशंसा करना शुरू कर दिया और उनका स्तुति करने लगा। एक सभासद ने कहा – महाराज! आपके राज्य में तो किसी चीज की कोई कमी नहीं है। आपका शासन तो रामराज्य से भी बेहतर है। सभासाद बोल ही रहा था; तभी अचानक एक कौआ कहीं से आया और उस सभासद को नोंच डाला।
राजा भोज क्रोधित हो गये और शिकारियों को उस कौए को पकड़ने का आदेश दिया। शिकारियों ने कौए को पकड़ लिया और उसे राजा भोज के पास ले आये। उन्होंने कौए को फाँसी देने का आदेश दिया।
कौवे ने अपनी जान की रक्षा के लिए गुहार लगाई और राजा भोज से एक निवेदन किया।
“महाराज! मैं आपको कुछ दिखाना चाहता हूँ। मुझे एक मौका दिया जाय। “
राजा ने उस कौए को एक अंतिम मौका दिया।
कौआ आगे आगे उड़ रहा था और राजा भोज और उनके सभी सभासद उसके पीछे पीछे मार्ग का अनुसरण कर रहे थे।
कुछ घंटों की यात्रा के बाद कौआ सबको एक गुफ़ा में ले गया।
गुफा के अंदर जाते ही सभी अचंभित हो गए।
वह किसी अति समृद्ध नगर का अवशेष लग रहा था। उसमें जहाँ तहाँ बड़े बड़े स्वर्ण पात्रों में हीरे जवाहरात रखे थे।
राजा भोज और सभी सभासद उस गुफा और उसके अंदर रखे अकूत धन संपत्ति के बारे में और अधिक जानने को उत्सुक थे।
कौए ने कहा – ” महाराज! अब आप वापस चलें। राजमहल पहुंचकर इस गुफा के बारे में और बताऊंगा।
सभी लोग वापस राजा भोज के दरबार में आ गए।
कौए ने आगे बताना शुरू किया –
” महाराज आपने जिस गुफा के अंदर प्रवेश किया वह भगवान राम का राजधानी अयोध्या थी। एक बार अवध के एक धनी व्यक्ति ने श्री राम को अपने यहाँ दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया। दोपहर के भोजन के बाद उस अमीर व्यक्ति ने श्रीराम को स्वर्ण पात्रों में भरकर बहुत सारे बहुमूल्य रत्न, हीरे और जवाहरात भेंट किये। भगवान राम, दयालु स्वभाव के थे, उन्होंने इसे अपने महल के बाहर नगर के मुख्य भाग में इन बहुमूल्य रत्नों को यह सोचकर रखवा दिया कि यदि किसी जरूरतमंद को इसकी जरुरत पड़े तो वह यहाँ से ले सके। समय तेजी से बीतता गया लेकिन राम राज्य में रहने वाला कोई भी व्यक्ति उसे लेने नहीं आया। कालांतर में वह धन गुफा में छुप गया।
मैंने जब आपके सभासद की बात सुनी तो मुझे इसकी झूठी प्रशंसा सुनकर क्रोध आया और मैंने इसका नाक खरोंच डाला।
ये राम राज्य और उसकी महिमा को क्या जानें।
महाराज आपसे एक विनती और है?
कृपया उस गुफा के अंदर गए सभी सभासदों के कपडे और उनकी जेबें की तलाशी ली जाय।
राजा भोज ने वहीँ खड़े एक सैनिक को आदेश दिया।
सैनिक ने सभासदों की जेबों की तलाशी ली।
एक दो सभासदों को छोड़कर अन्य सभी सभासदों की जेबों से उस गुफा ने अंदर रखे गए हीरे जवाहरात मिले।
कौए ने कहा – महाराज हजारों वर्षों से रखे उस बहुमूल्य रत्नों को राम राज्य के किसी नागरिक ने छुआ तक नहीं लेकिन कुछ घंटों में ही आपके लगभग सभी सभासदों ने वहां रखे रत्नों की चोरी कर अपनी अपनी जेबों में छुपा लिया।
राजा भोज अवाक सब कुछ देख रहे थे।
उसने उस कौए को प्रणाम किया और उससे माफ़ी मांगी। साथ ही उन्होंने अपने सभी बेईमान और चोर सभासदों को कारागार में डलवा दिया।
उन्होंने कहा – राम राज्य की बात करना और राम राज्य लाना बहुत कठिन है। ऐसा था भगवान् का राम राज्य।
उनके राम राज्य में दैहिक, दैविक या भौतिक किसी तरह की समस्या नहीं थी। कोई पुत्र अपने पिता के पहले नहीं मरता था। लोग प्रकृति का सम्मान करते थे। प्रजा बहुत खुश रहती थे।
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