प्रस्तुत पोस्ट में हम एक प्रेरक प्रसंग पढ़ेंगे। इसमें यह दिखाया गया है कि जीवन की समस्याओं के बीच भी परोपकार के कार्य कैसे करें? आइए पढ़ते हैं – रुकना नहीं बढ़ते रहना है।
जीवन में समस्याएँ आना स्वाभाविक है। कोई भी व्यक्ति इससे अछूता नहीं है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या हम इन समस्याओं से घबरा जाते हैं या फिर उनके बीच भी आगे बढ़ते हैं? इस ब्लॉग पोस्ट में हम एक प्रेरक प्रसंग के माध्यम से समझेंगे कि जीवन में रुकना नहीं है, बल्कि बढ़ते रहना है।

जीवन की वास्तविकता – संत और युवक की कहानी
एक प्रसिद्ध संत अपने प्रवचन में परोपकार की महत्ता समझा रहे थे। उन्होंने कहा,
“मनुष्य के लिए परोपकार सबसे बड़ा धर्म है।”
भीड़ में बैठे एक युवक ने यह सुनते ही हाथ उठाया और कहा,
“गुरुदेव, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं, लेकिन मैं अपनी ही समस्याओं से जूझ रहा हूँ। ऐसे में परोपकार कैसे कर सकता हूँ?”
संत मुस्कराए और बोले, “इसका उत्तर तुम्हें एक अनुभव के ज़रिये मिलेगा। मेरे साथ चलो।”
नदी के किनारे मिला उत्तर
संत युवक को एक नदी के किनारे ले गए और बोले,
“आओ, इस नदी को पार करते हैं।”
युवक घबरा गया और बोला, “मुझे तैरना नहीं आता। हम कैसे पार करेंगे?”
संत बोले, “कोई बात नहीं, हम यहीं इंतजार करते हैं। जब नदी सूख जाएगी, तब पार कर लेंगे।”
युवक हैरान होकर बोला, “गुरुदेव, नदी कभी नहीं सूखेगी! हमें तैरना सीखना होगा या कोई और तरीका निकालना होगा।”
संत ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया,
“बस यही बात मैं तुमसे कहना चाहता था। जीवन की समस्याएँ भी इस नदी की तरह हैं। वे कभी पूरी तरह समाप्त नहीं होंगी। तुम्हें उनके बीच ही रास्ता निकालना होगा। परोपकार करने के लिए परिपूर्ण समय का इंतजार मत करो। अभी करो, जैसे हो, जहाँ हो।”
सोच बदलो, दिशा बदल जाएगी
इस घटना ने उस युवक की सोच ही बदल दी। उसे समझ आ गया कि इंतजार करना केवल समय की बर्बादी है। समस्याएँ कभी समाप्त नहीं होंगी, लेकिन उनके बीच भी अच्छा काम किया जा सकता है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि समस्या नहीं, सोच बड़ी होती है।
परोपकार के लिए क्या करें?
छोटे कदम से शुरुआत करें: किसी ज़रूरतमंद की मदद करें, एक पौधा लगाएं, किसी को प्रोत्साहित करें।
समय का सही उपयोग करें: व्यस्त जीवन में भी समय निकालें।
समस्याओं से न डरें: डर हमें रोकता है, जबकि हिम्मत हमें आगे बढ़ाती है।
सोच को सकारात्मक बनाएं: हर मुश्किल में भी एक अवसर छिपा होता है।
निष्कर्ष
“रुकना नहीं, बढ़ते रहना है” – यही इस कहानी की और जीवन की सबसे बड़ी सीख है। अगर हम समस्याओं के खत्म होने का इंतजार करते रहेंगे, तो शायद कभी कुछ अच्छा नहीं कर पाएंगे। लेकिन अगर हम अपनी सोच बदल लें, तो हर चुनौती में भी अवसर खोज सकते हैं।
अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ ज़रूर साझा करें। और याद रखें –
“हर सुबह एक नई शुरुआत है, और हर चुनौती एक नई सीख।”
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