शब्दों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कुछ शब्दों को बोलने पर लोग ताली बजाते हैं तो दूसरी तरफ कुछ शब्दों को बोलने पर लोग आपत्ति जताते हैं।
कभी-कभी नौबत तो मार पीट तक की भी आ जाती है। इसलिए हमें अपने शब्दों को बहुत ही तौलकर बोलना चाहिए। आइये पढ़ते हैं यह हिंदी कहानी …

स्वामी विवेकानंद की सीख
प्रस्तुत प्रसंग स्वामी विवेकानंद के जीवन से सम्बंधित है। जैसा कि आपको पता है कि स्वामी जी का अधिकांश समय देशाटन और सत्संग में व्यतीत होता था।
एक बार स्वामी विवेकानंद एक सत्संग में शब्दों की महिमा (Importance of Words) विषय पर बातचीत कर रहे थे। इसी क्रम में वह GOD यानी ईश्वर के नाम की महत्ता समझा रहे थे। एक व्यक्ति सत्संग के बीच-बीच में स्वामी जी से काफी तर्क कर रहा था।
उसने कहा – शब्दों में क्या रखा है, उन्हें रटने से क्या लाभ? What is the importance of words? Why should we recite every time?
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उसे जबाव देने के बदले स्वामी जी ने उसे foolish, idiot, bastard, जाहिल, लम्पट जैसे शब्द कह दिए। ये सारे words सुनकर वह व्यक्ति आग बबूला हो गया और स्वामी जी से बोला – आप जैसे संन्यासी के मुंह से ऐसे शब्द शोभा नहीं देते? कोई इन्हें सुनकर मुझे चोट लगी है।
स्वामी जी बोले – भाई ये तो शब्द हैं, शब्दों में क्या रखा है? Why are you angry? These are only few words. मैंने कोई पत्थर तो नहीं फेंका जो आपको चोट लग गयी। प्रश्नकर्ता सहित वहां present सभी भक्तों को उत्तर मिल गया।
अगर words हमें Provoke कर सकते हैं तो words हमें god के नजदीक भी पंहुचा सकते हैं। इसलिए हम जब भी कुछ बोले सोच समझ कर बोले क्योंकि हमारे शब्द किसी को ठेस भी पहुंचा सकते हैं।
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Very good motivational story
The importance of word by vivekanand