यह कहानी यानी बुद्धिमत्ता हिंदी कहानी है चार दोस्तों की. एक लेक्चरर, दूसरा डॉक्टर, तीसरा इंस्पेक्टर और चौथा एक कंपनी का चार्टर्ड अकाउंटेंट था. चारों लखनऊ से दिल्ली कार से जा रहे थे.

हाईवे पर उनकी कार तेजी से भागी जा रही थी. अचानक उनकी कार के पिछले चक्के का पहिया पंक्चर हो गया. गाड़ी रोकी गई. चारों दोस्त उतरे. एक ने जैक निकाला, दूसरे ने चक्का खोला और तीसरा चक्का लगाने लगा. इतने में एक के हाथ से चक्के के चारों बोल्ट खाई में गिर गए.
बिना बोल्ट चक्का लगाना मुश्किल था. चारों यह सोच कर परेशान हो गए. अब क्या करें? चारों ने मोबाइल लगाने की कोशिश की लेकिन नेटवर्क नहीं था. इतने में वहां एक चरवाहा अपने जानवरों को हांकते हुए आया. उन्होंने चरवाहे से पूछा -” सुनो यहाँ कोई मेकेनिक मिलेगा क्या?”
चरवाहे ने पहाड़ी की तरफ इशारे करते हुए बताया कि यहाँ से दस किलोमीटर दूर है. सब परेशान. अब क्या करें. उनमें से एक दोस्त ने कहा- “हमारी कर के बोल्ट खाई में गिर गए हैं तुम निकल दो न, सौ रूपये दूंगा.”
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चरवाहा बोला – “इस गहरी खाई में इतना छोटा बोल्ट कहाँ मिलेगा. साहब, आप ऐसा क्यों नहीं करते तीनो चक्के से एक- एक बोल्ट खोल कर क्यों नहीं लगा लेते.”
चरवाहे की बात सुनकर चारों एक दूसरे का मुंह देखने लगे. इन चारों के पास बड़ी बड़ी डिग्री थी इसके बाबजूद उनके दिमाग में यह बात नहीं आई कि तीन चक्कों से एक एक बोल्ट निकल कर काम चलाया जा सकता है.
इसका मतलब यह है कि बुद्धिमान लोगों के सामने बड़े- बड़े डिग्रीधारी भी फेल हो जाते हैं. वक्त और परिस्थिति के हिसाब से निर्णय लेकर किस तरह से समस्या का समाधान हो सकता है, यह खास बात है. यदि आपको यह बुद्धिमत्ता हिंदी कहानी अच्छी लगी हो तो अपने विचार कमेंट द्वारा दें.
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