प्रस्तुत पोस्ट में एक छोटी-सी परन्तु बहुत ही प्रेरक हिंदी लघु कथा शेयर करने जा रहे हैं जिसका नाम है – सबसे बड़ा पत्ता हिंदी कहानी
दक्षिण भारत में एक बहुत ही विशाल साम्राज्य था. इसके राजा श्री कृष्णदेव राय थे. उनके दरबार में भी कई दरबारी थे और राज दरबार में आए दिन महाराज नए नए प्रश्न पूछा करते थे और उचित जबाब देने वाले को ढेर सारा इनाम दिया जाता था.
एक बार महाराज कृष्णदेव राय ने दरबार में घोषणा की कि जो सबसे बड़ा पत्ता लायेगा उसे विशेष रूप से पुरस्कृत किया जायेगा. इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया. सारे दरबारी सोच में पड़ गए. वे इस बाग़ से उस उपवन में पत्ता ढूंढने निकल पड़े. उनके रातों की नींद उड़ गयी. वे इस सोच में थे कि कौन सा बड़ा पत्ता लेकर दरबार में जाएँ. लेकिन उन्हीं में से एक तेनालीराम इस सबसे बेफिक्र थे.
निश्चित दिन आ पहुंचा. दरबार ऐसा लग रहा था, जैसे पत्तों की प्रदर्शनी लगी हो. किसी के हाथ में ताड़ का पत्ता तो कोई केले का पत्ता, कोई अरबी तो कोई बरगद. राजा को इनमें से कुछ भी पसंद नहीं था. तभी तेनालीराम खाली हाथ आते दिखाई दिए. सब उनकी ओर प्रश्न भरी दृष्टि से देखने लगे. तेनाली राम ने राजा को प्रणाम किया और जेब से पान का पत्ता निकाल कर राजा के सामने रख दिया.
राजा ने पूछा – ‘यह क्या?’
तेनालीराम बोले – ‘महाराज! मेरी नजर में इस पान के पत्ते से महत्वपूर्ण कोई पत्ता नहीं. यह हर शुभ अवसर पर पूजा पाठ में प्रयोग होता है.’
राजा बहुत खुश हुए और तेनालीराम को सीने से लगा लिया और उनकी प्रशंसा करने लगे. उन्हें पुरस्कृत भी किया गया. बड़ा का मतलब आकार ही नहीं गुण भी हो सकता है. हमें इस लघु कथा से यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने गुणों पर ध्यान देना चाहिए. शरीर का आकार, रंग और रूप गुणवान व्यक्ति के सामने फीके पड़ जाते हैं.
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