तोता और चने का दाना हिंदी कहानी
एक तोता था. उसे भूख लगी हुई थी. उसे कहीं से चने का एक दाना मिल गया. दाने को अपनी चोंच में पकड़ उसे खाने के लिये वह एक खूंटे के ऊपर जा बैठा. खूंटे में एक दरार थी. उसने जैसे ही खूंटे पर चना का दाना रखकर उसे फोड़ने के लिये उसपर चोंच मारी, दाल उस दरार में चली गयी. तोता बहुत परेशान हो गया. सोचा, अब क्या करें? उसने खूंटे से विनती इस प्रकार से की:
खूंटा- खूंटा दालि दे,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई बसेरे जाई.
खूंटे ने जब यह सुना तो तोते को डांटकर भगा दिया. तोता बढई के पास गया. वह बढई से जाकर बोला-
बढई-बढई, खूंटा चीर,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई बसेरे जाई.
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बढई ने उसे भगा दिया. उसने तोता से कहा – ‘मेरे पास फुर्सत नहीं है.’ बढई से नाराज होकर तोता राजा के पास गया. वह राजा से जाकर बोला-
राजा राजा, बढई डांट,
बढई न खूंटा चीरइ,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई, बसेरे जाई.
राजा ने तोते को वहां से भगा दिया क्योंकि वह उस समय अपनी रानी से बतिया रहा था. अब तोता रानी से बोला –
रानी रानी, राजा छोड़,
राजा न बढई डांटइ,
बढई न खूंटा चीरइ,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई, बसेरे जाई.
रानी ने भी तोते को भगा दिया. अब तोता सांप के पास गया. जाकर सांप से बोला-
सांप सांप, रानी डस,
रानी न राजा छोड़इ,
राजा न बढई डांटइ,
बढई न खूंटा चीरइ,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई, बसेरे जाई.
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सांप ने भी तोते को दुत्कार कर भगा दिया. अब तोता लाठी के पास जाकर उससे बोला-
लाठी लाठी, सर्प ठंठाव,
सर्प न रानी डसइ,
रानी न राजा छोड़इ,
राजा न बढई डांटइ,
बढई न खूंटा चीरइ,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई, बसेरे जाई.
लाठी ने भी तोते की बात नहीं मानी. अब तोता भाड़ के पास गया. उसको बोला-
भाड़ भाड़, लाठी जार,
लाठी न सर्प ठंठावइ,
सर्प न रानी डसइ,
रानी न राजा छोड़इ,
राजा न बढई डांटइ,
बढई न खूंटा चीरइ,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई, बसेरे जाई.
भाड़ ने भी तोते को भगा दिया. नाराज होकर अब वह समुद्र के पास पहुंचा. वह समुद्र से बोला-
समुद्र समुद्र, भाड़ बुताव,
भाड़ न लाठी जारइ,
लाठी न सर्प ठंठावइ,
सर्प न रानी डसइ,
रानी न राजा छोड़इ,
राजा न बढई डांटइ,
बढई न खूंटा चीरइ,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई, बसेरे जाई.
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औरों की भांति ही समुद्र ने भी तोते को डांट कर भगा दिया. अब वह झल्लाहट में आकर हाथी के पास गया और उसको बोला –
हाथी हाथी, समुद्र सोख,
समुद्र न भाड़ बुतावइ,
भाड़ न लाठी जारइ,
लाठी न सर्प ठंठावइ,
सर्प न रानी डसइ,
रानी न राजा छोड़इ,
राजा न बढई डांटइ,
बढई न खूंटा चीरइ,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई, बसेरे जाई.
हाथी ने भी तोते की बात को नजरअंदाज करते हुए उसको वहां से चले जाने को कहा. अब वह आकाशबेलि के पास गया. बोला –
बंवरि बंवरि, हाथी बाँध,
हाथी न समुद्र सोखइ,
समुद्र न भाड़ बुतावइ,
भाड़ न लाठी जारइ,
लाठी न सर्प ठंठावइ,
सर्प न रानी डसइ,
रानी न राजा छोड़इ,
राजा न बढई डांटइ,
बढई न खूंटा चीरइ,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई, बसेरे जाई.
आकाशबेलि ने भी तोते को भगा दिया. अब तोता चूहे के पास गया. वह चूहे से बोला –
मूस मूस बंवरि काट,
बंवरि न हाथी बाँधइ,
हाथी न समुद्र सोखइ,
समुद्र न भाड़ बुतावइ,
भाड़ न लाठी जारइ,
लाठी न सर्प ठंठावइ,
सर्प न रानी डसइ,
रानी न राजा छोड़इ,
राजा न बढई डांटइ,
बढई न खूंटा चीरइ,
खुंटवा में दालि बा,
का खाई, का पीई,
का लेई, बसेरे जाई.
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चूहे ने तोते की पूरी बात ध्यान से सुना. उसे तोते के ऊपर दया आ गयी. वह बोला- ‘चलो, मैं अभी चलता हूँ. अभी बंवरि को काट- कूटकर बराबर कर देता हूँ.’ और वह आकाशबेलि की ओर उसे काटने को दौड़ा. इस पर आकाशबेलि सहमते हुए बोली-
‘हमके काटइ ओटइ मत कोइ,
हम त… हाथी बाँधब लोइ.’
अब वह हाथी को बाँधने के लिये दौड़ पडी. अपनी ओर आकाशबेलि को आते देखकर हाथी बोला-
‘हमके बाँधइ ओंधइ मत कोइ,
हम त… समुद्र सोखब लोइ.’
और वह समुद्र को पीने के लिये दौड़ पड़ा. अपनी ओर हाथी को आता देखकर समुद्र डर गया. वह समझ गया कि हाथी गुस्से में आकर उसे पी जाएगा. इसलिए वह डरकर बोला-
‘हमके पीअइ उअइ मत कोइ,
हम त… भाड़ बुताउब लोइ.’
समुद्र भाड़ को बुझाने के लिये उसकी तरफ दौड़ा. अपनी तरफ समुद्र को आता देख भाड़ बोला-
‘हंमई बुतावइ उतावइ मत कोइ,
हम त… लाठी जारब लोइ.’
भाड़ लाठी को जलाने के लिये उसकी ओर दौड़ा. अपनी तरफ भाड़ को आते देखकर लाठी बोली-
‘हमके जरावइ ओरावइ मत कोइ,
हम त… सर्प ठंठाउब लोइ.’
लाठी सर्प को पीट –पीट कर मारने के लिये दौड़ी. अपनी ओर लाठी को आते देखकर सांप बोला-
‘हमके ठंठावइ ओठावइ मत कोइ,
हम त… रानी डसब लोइ.’
सांप रानी को डसने के लिये चल पड़ा. अपनी ओर सांप को आते देखकर रानी बोली –
‘हमके डसइ ओंसइ मत कोइ,
हम त… राजा छोड़ब लोइ.’
रानी राजा को छोड़ने को तैयार हो गयी. यह देखकर राजा बोला –
‘हमके छोड़इ ओड़इ मत कोइ,
हम त… बढई डांटब लोइ.’
राजा उस बढई की खबर लेने निकल पड़ा. बढई ने सोचा कि अब तो राजा के हाथों मार पड़ना निश्चित है. वह तुरंत बोला –
‘हमके डांटइ ओंटइ मत कोइ,
हम त… खूंटा चीरन लोइ.’
और बढई आरी लेकर खूंटा चीरने चल पड़ा. बढई को अपनी ओर आता देख खूंटा बोला-
‘हमके चीरइ उरइ मत कोइ,
हम त… दालि देबइ लोइ.’
और फ़ौरन खूंटे ने चने की दाल निकाल कर बाहर फेंक दिया और उस दाने को लेकर तोता फुर्र से उड़ गया.
rekha says
आपने बचपन के दिन याद दिला दिये। तब यह कहानी ना जाने कितनी बार सुना था।
Pankaj Kumar says
जी, इस कहानी में मेरी दादी की यादें समायी हुई हैं. इसकी सराहना करने के लिये आपका बहुत- बहुत धन्यवाद!
Maniparna Sengupta Majumder says
I too have heard the story…nicely penned… 🙂
Laki says
So very Nice Story
Dheeraj Kumar says
Its too good my old memories…