आंवला को धायफल भी कहा जाता है, अर्थात वैसा फल जो माँ के सदृश हमारी देखभाल करे, हमारा भला करें. आंवला मनुष्य जाति को प्रकृति द्वारा दिया गया एक अनुपम उपहार है. प्रस्तुत पोस्ट Amla Common Usage in Hindi में इस Indian Gooseberry के कुछ सामान्य प्रयोग की जानकारी दी गयी है.
आंवला के कुछ सामान्य प्रयोग Amla Common Usage in Hindi
1. यकृत यानी लीवर को सुचारू रूप से स्वस्थ रखने के लिए छ: माह में 15 दिन सूखे आंवले का चूर्ण पानी के साथ सेवन करें.
2. बवासीर या पाइल्स की शिकायत होने पर एक चम्मच आंवले का चूर्ण मट्ठे और दही के साथ सेवन करें.
3. हरड़, बहेडा और आंवला को कूट-पीसकर उसमें नीम की पत्तियों का चूर्ण (one- fifth part ) मिला लें. इसमें से एक चम्मच चूर्ण सुबह खाली पेट सेवन करें. इससे गुदा संबंधी रोगों का समूल नाश होता है. बवासीर की शिकायत नहीं होती है और यदि होती भी है तो ठीक हो जाती है.
4. त्रिफला (हरड, बहेडा और आंवला ) के चूर्ण में मेथी के दानों का चूर्ण मिला लें. दो चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी से सेवन करें .इसके सेवन से डायबिटीज की शिकायत नहीं होती है और होती है तो दूर हो जाती है.
5. आंवले के पत्ते 200 ग्राम, हल्दी सेवन शाम 100 ग्राम,तिल 50 ग्राम और इमली के बीजों की गिरी 10 ग्राम –इन सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें. प्रतिदिन 5-5 ग्राम सुबह –शाम सेवन करने से बार-बार पेशाब जाने की शिकायत दूर हो जाती है.
6. पोस्त,सूखा आंवला, हल्दी-तीनों 5-5 ग्राम लेकर कूट डालें. फिर इसे 250 ग्राम पानी में भिगों दें. सुबह छानकर पी जाएँ. मूत्र की जलन तथा मूत्र की गर्मी की शिकायत दूर हो जाती है.
“आंवला में प्रोटीन, जल, वसा, फॉस्फोरस, कैल्शियम, आयरन, टैनिन, निकोटिनिक एसिड, आदि अनेक महत्वपूर्ण तत्त्व पाए जाते हैं.” |
7. आग में पका एक-एक आंवला सुबह-शाम काली मिर्च पाउडर और नमक बुरक कर खाने से खांसी ठीक हो जाती है.
8. न्यूमोनिया रोग में कड़वे नीम के चालीस पत्ते और सोंठ,काली मिर्च,पीपल, हरड़, बहेडा और आंवला ,सेंधा नमक, अजवायन 10-10 तोला-सभी चीजें पीसकर चूर्ण बना लें. इसमें से एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सेवन करें.
9. 6 ग्राम आंवले का चूर्ण 15 ग्राम गुड़ के साथ खिलाने से वृद्धों में बार-बार पेशाब जाने की होने वाली शिकायत दूर हो जाती है.
10. यदि किसी व्यक्ति को भूख नहीं लगती है तो यह उपाय करें. सोंठ,पीपल,काली मिर्च,आंवला – चारों 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें. प्रतिदिन सुबह –शाम भोजन से पहले ठंडे पानी के साथ इसका सेवन करें, भूख न लगने की शिकायत दूर हो जायेगी और व्यक्ति किसी भी तरह का भोजन रुचिपूर्वक खाने लगता है.
11. आंवले के पत्तों की चटनी खाने से नकसीर ठीक हो जाती है.
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12. हेमोपटाइसिस (कफ में खून आना) रोग में थोड़े से सूखे आंवलों को घी में भून लें तथा कांजी में पीसकर मस्तक पर लगाएं. कफ के साथ खून आना रूक जाता है.
13. बच्चों को खांसी की शिकायत होने पर आंवले का स्वरस एक चम्मच तथा शहद आधा चम्मच-दोनों को मिलाकर उन्हें धीरे-धीरे उंगली से दिन में दो-तीन बार चटाएं.
14. हरड़, बहेडा और आंवला छाल,धनिया तथा बायबिडंग- सब समान मात्रा में लेकर दो कप पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं.जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तब उसमें जरा-सा गुड़ डालकर सेवन कराएं इससे पैरालिसिस (लकवा)में लाभ होता है.
15. आंवले का चूर्ण 10 ग्राम, काली मिर्च 3 ग्राम, बताशे 10 ग्राम – तीनों को पीसकर फांक लें और ऊपर से दूध पिएं. चक्कर आने की शिकायत में लाभ होता है.
16. हरड़,आंवला, हल्दी, नीम की छाल, गिलोय- सभी 5-5 ग्राम लेकर एक कप पानी में काढ़ा बनाकर पीने से पुराना से पुराना सिरदर्द ठीक हो जाता है.
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17. आंवले का रस दो चम्मच तथा घी दो चम्मच- दोनों को पकाकर सेवन करने से मूर्च्छा रोग में लाभ होता है.
18. एक्जीमा रोग में हरड़ , बहेडा और आंवला,नीम की छाल, उसवा,कुटकी,मजीठ,चोबचीनी ,गिलोय,गोरखमुखी-सब 15-15 ग्राम की मात्रा में लेकर आधी बाल्टी पानी में डालकर अर्क तैयार करें. इस अर्क को बोतल में भरकर रख लें. प्रतिदिन चार चम्मच अर्क सुबह-शाम सेवन करें.
19. आंवले की गुठली जलाकर राख बना लें और उसमें नारियल का तेल मिलाकर खुजली पर लगाएं. खुजली का नाश होता है.
20. आंवला, गंधक, कपूर और नीला तूतिया-सब 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर घी में अच्छी तरह फेंट लें. यह मलहम खाज-खुजली को बहुत जल्द ठीक करता है.
21. हरड़ , बहेडा और आंवला,नीम की छाल ,उसवा, कुटकी तथा गोरखमुंडी –सब 20-20 ग्राम लेकर पानी में भिगो लें.फिर इसे आग पर पकाकर उसका अर्क तैयार करें. यह अर्क खाज-खुजली पर लगाएं.
22. कील-मुहांसों वाली त्वचा पर मुल्तानी मिट्टी, थोड़ी-सी मेहंदी और सूखा आंवला-तीनों को पीसकर इसका पेस्ट लगाएं.
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23. सूखा आंवला कूटकर दो घंटे तक पानी में औटाएं .फिर इसे छानकर ठंडा करें और बार-बार आँखों में डालें. इससे आँखों का स्वास्थ्य ठीक रहता है.
24. आंवले तथा मुलहठी का आधा-आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम गाय के कच्चे दूध के साथ खाएं. इससे नाक से खून आना बंद होता है.
25. आंवला जलाकर उसमें थोडा-सा सेंधा नमक मिलाकर महीन चूर्ण पीस लें. सरसों के तेल में मिलाकर मंजन करने से मसूढ़ों से खून आना शीघ्र ही नष्ट हो जाता है.
26. सूखे आंवले का चूर्ण कच्ची मूली में लगाकर खाने से पित्तशूल में आराम मिलता है.
27. शरीर में हडकन प्राय: 50-55 वर्ष की आयु के बाद होती है. यह रोग अधिक थकावट, ठंडी तथा बादी चीजें खाने, ठंडे पानी से स्नान करने, ठंडी हवा या ओस में सीने, बर्फ खाने या बर्फ का पानी पीने आदि के कारण होता है – हरड़ , बहेडा और आंवला,हल्दी ,नीम की छाल तथा गिलोय –इन सबका काढ़ा बनाकर नित्य पीने से शरीर में हडकन होने की शिकायत दूर होती है.
28. खून की कमी होने पर आंवले का चूर्ण एक चम्मच तथा तिल का चूर्ण दो चम्मच –दोनों मिलाकर शहद के साथ खाएं. शरीर में खून बनना शुरू हो जाता है.
29. आंवला,हल्दी,शुद्धरसौत, असली शिलाजीत, इमली के भूने बीज, जायफल, असली वंशलोचन,बच और त्रिवंग भस्म –सभी 12-12 ग्राम की मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें. प्रतिदिन आधा चम्मच औषधि सुबह और आधा चम्मच शाम को पानी या गाय के दूध के साथ लेते रहने से नपुंसकता का नाश होकर पौरूष शक्ति पैदा होती है.
30. स्मरणशक्ति की क्षीणता को दूर करने के लिए खाली पेट प्रतिदिन सुबह एक आंवले का मुरब्बा खाएं लेकिन ऊपर से पानी या दूध का प्रयोग न करें.
नोट :
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