सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग
आपने कई बार ऐसा महसूस किया होगा कि कोई भी काम शुरू करने से पहले मन में यह विचार आ जाता है कि लोग क्या कहेंगे. कहा भी गया है कि सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग. प्रस्तुत पोस्ट Sabse Bada Rog Kya Kahenge Log में हम इसी विषय पर बात करेंगे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने काम के संबंध में कहा है कि जब काम बहुत है और समय बहुत कम है तो मनुष्य क्या करे?
धैर्य रखे. ज्यादा उपकारी काम को पूरा करे. दूसरे रोज जिंदा रह गया तो जो रह गया, उसे पूरा करेगा.
हमारे जीवन की सबसे बड़ी विडंवना यह है कि हम कोई काम शुरू करने से पहले ही इस असमंजस या दुविधा में पड़ जाते हैं कि हमारे काम की दशा, दिशा, मार्ग, सफलता या असफलता पर लोगों की प्रतिक्रिया क्या होगी. ऐसे में तयशुदा लक्ष्य व उसकी प्राप्ति के मार्ग से भटक जाना हमारी नियति बन जाती है. याद रहे जब तक कार्य संज्ञा नहीं होगी तब तक हमारे प्रयत्नों में जान नहीं आ पाएगी. उसके सर्वनाम रहने पर वह प्राथमिकता का दर्जा खोकर मात्र दोयम दर्जे की रह जाएगी. ईश्वर ने आपको एक पूरी स्वतंत्र इकाई के रूप में धरती पर भेजा है – सम्पूर्ण कौशल, व्यक्तित्त्व , शरीर व बुद्धि के साथ. इसलिए आपको अपने लक्ष्य व मार्ग दोनों स्वयं ही तय करने हैं अपने विवेक से.
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यदि आप दूसरों की राय से अपनी प्राथमिकताएँ तय करते हैं तो आपका अपना अस्तित्व व व्यक्तित्व दोनों खतरे में पड़ सकते हैं. साध्य व साधन दोनों चुनने के लिये आप खुद सक्षम व स्वतंत्र हैं, फिर क्यों दूसरों की बात सुनकर स्वावलंबी से परावलंबी बनना चाहते हैं. दूसरों की सुनते-सुनते तो एक दिन आप तंग आ जाएंगे और निर्धारित मार्ग से भटक जाएंगे और जब तक यह बात आपकी समझ में आएंगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. इस सम्बन्ध में एक बहुत ही रोचक कहानी है कि दूसरों की सुननेवाले लोगों की और उसे नहीं सुननेवाले लोगों की क्या दशा होती है.
बहरे मेंढक की कहानी Sabse Bada Rog Kya Kahenge Log
मेढकों का एक झुंड जंगल घूमने निकला. सैर करते-करते दो मेढक एक गहरे गड्ढ़े में गिर गए. बाहर खड़े उनके दोस्तों ने गड्ढ़े में झांका. उन्हें लगा कि कितनी भी कोशिश क्यों न की जाए, उनका बाहर निकल पाना नामुमकिन है. वे गड्ढ़े में फंसे मेढकों से कहने लगे कि हाथ-पैर मारने का कोई फायदा नहीं, वे किसी भी कीमत पर नहीं बच पाएंगे. वह गड्ढा उनके लिए मौत का गड्ढा साबित होगा.
दोनों मेढकों ने उन्हें अनसुना कर दिया और बाहर निकलने की भरसक कोशिश करते रहे. बाहर से झांकते मेंढक उनके न बच पाने की बात दोहराए जा रहे थे. आखिरकार एक मेंढक निराश हो गया. उसने बाहर निकल पाने की आस छोड़ दी और वहीं मर गया.
दूसरा मेढक अब भी बाहर निकलने की कोशिश में बराबर जूझता रहा. कुछ देर बाद वह गड्ढ़े के बाहर था. बाहर निकलते ही उसने अपने मित्रों को धन्यवाद दिया.
मेंढक कुछ समझ नहीं पाए. यह बाहर कैसे निकल गया. उसने उन्हें बताया कि वह बहरा है और जब वह बाहर आने के लिए लड़ रहा था, तब उन्हें सुन तो नहीं पा रहा था, लेकिन यह भलीभांति समझ रहा था कि वे सब उसे बाहर आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे.
हौसला बनाये रखना चाहिए
कहने का तात्पर्य यह है कि दूसरों के मुंह से निकले शब्द किसी का हौसला पस्त कर सकते हैं. इसलिए हमेशा दूसरों के बजाय खुद के सोच को प्राथमिकता दें. लोगों की अनर्गल बातें मत सुनिए. वे भीड़ हैं, जो आपके अपने नहीं हैं. दूषित मानसिकता वाले लोग आपके हृदय की जिजीविषा को मार देते हैं. मेंढक ऐसे लोगों की बातों में नहीं आया. बल्कि उल्टा उसने तो यह समझा कि वे उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं. वह अपने सोच के साथ बगैर लोगों के कथन की परवाह किए बढ़ता चला गया जब तक कि अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लिया.
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याद रखिए जो लोगों के कहने या बहकावे में आ जाते हैं वे लक्ष्य से भटक जाते हैं. लोगों ने अग्नि परीक्षा के बाद भी सीता तक को नहीं छोड़ा और जंगल भिजवा दिया. जब तक आप अपने आपमें स्पष्ट तथा सुलझे हुए हैं, आपको निश्चित होकर आगे कदम बढ़ाना चाहिए. आखिरकार सफर तो आपको ही तय करना है. कोई अन्य तो आपका भर उठाने से रहा. ऐसे में क्यों समय बर्बाद किया जाए तथा औरों की सुनकर निरुत्साहित हुआ जाए. मन हमारा है तो मनोबल भी हमारा ही होना चाहिए. आप अपने मार्ग पर हाथी की मदमाती चाल से चलते रहिए. मंजिल खुद आपके लिए पलक पांवड़े बिछा आपसे मिलने को आतुर रहेगी. यही लक्ष्य के प्रति ईमानदारी का तकाजा भी है.
यह पोस्ट वैसे तमाम लोगों को ध्यान में रखकर लिखी गयी है जो अभी अपने life में struggle कर रहे हैं. आये दिन उन्हें तरह – तरह की बातें सुनने को मिलती है. चाहे आप student हो या struggle कर रहा कोई अन्य युवा. आप निराश न हों, निरंतर अपने काम में लगे रहिये. आपको एक दिन सफलता जरुर मिलेगी, जिस दिन आप सफल हो जाएँ आपसे एक अनुरोध है कि मेरे इस पोस्ट Sabse Bada Rog Kya Kahenge Log पर आकर अपना कमेंट जरुर देना और अपनी real story को हमारे साथ जरुर शेयर करना. धन्यवाद!
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atoot bandhan says
सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग … सच है , अक्सर हम सब दूसरों के कहे अनुसार चल कर अपने मन की आवाज़ नहीं सुनते फिर जिन्दगी भर पछताते हैं … अच्छी पोस्ट
Mohan Mekap says
nice post.
Adwani says
Very nice thinking sir
Raju kumar says
Very very nice post
Raju kumar says
Nice post
Parmod says
प्रॉब्लम ये है कि हम अपने बारे में कम और लोगों के बारे में ज़्यादा सोचते हैं, समाज की चिंता ज़्यादा करते है कि समाज क्या कहेगा। भले ही समाज या लोगों को हमारी चिंता हो या न हो।
Simran Sharma says
jab tak log khud start nhi karenge to unke liye koi plate me rkhkar to saflta layenge nhi. Log ko sharm hi itni ati hai to safal kab banenge.
Poetrywix says
Best post sir