प्रस्तुत कहानी यानी आराम हिंदी लघु कहानी है तो बहुत छोटी लेकिन इसका अर्थ बहुत ही प्रेरक और गंभीर है। आज हर कोई अपने जीवन की भागम भाग में इस तरह से लीन है कि उसे किसी बात की परवाह ही नहीं है। आइये पढ़ते हैं –

यूनान के सिकंदर की कहानी
यह कहानी यूनान की है। वहां एक संत हुए। उनका नाम था डायोजनीज। वे एक मस्तमौला संत थे। वे यूनान के एक नदी के किनारे वास करते थे।
एक कुत्ते को सागर से निकल कर, रेत में लोटते देखकर, डायोजनीज ने अपना लंगोट और भिक्षा पात्र यानी कटोरा गिरा दिया था।
उन्होंने सोचा कि कुत्ता इनके बिना मस्त रह सकता है तो वह क्यों नहीं? यही सोचकर वह सागर किनारे ही रहने लगे।
उधर सिकंदर ने विश्व विजय के लिए निकलने से पहले, डायोजनीज के दर्शन करने का विचार किया। वह बहुत समय से उनसे मिलना चाहता था।
डायोजनीज रेत में लेटा था। सिकंदर आया और बोला, ‘मैं तुम्हारे दर्शन करने आया हूं।’ यह सुनकर डायोजनीज ने कहा, ‘दर्शन हो गए हों, तो सामने से हट जाओ। तुम मेरी धूप में बाधा बन रहे हो।’
सिकंदर आखिर इतना बड़ा योद्धा, उसको यह अच्छा नहीं लगा। फिर भी उसने कहा, ‘आपने मुझे पहचाना नहीं ? मैं सिकंदर हूं।’ डायोजनीज ने कहा, ‘ओह! तो तुम हो सिकंदर ? यहां से रोज जो लाव-लश्कर निकलते हैं, वे तुम्हारे हैं ?’
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‘हां!’ सिकंदर मुस्कराया। डायोजनीजने पूछा, ‘इतनी तैयारी किसलिए चल रही है ?”
सिकंदर बोला, ‘मैं विश्व विजय के लिए जा रहा हूं।’
डायोजनीज ने कहा, ‘अच्छा? पर किसलिए ?’
सिकंदर ने कहा, ‘यह मेरी इच्छा है। जब तक पूरा विश्व न जीत लूं, मुझे चैन नहीं मिलेगा।’
डायोजनीज ने कहा, ‘विश्व जीत कर करोगे क्या ?’
‘तब करने को कुछ बचेगा ही कहां? तब तो मैं आराम करूंगा’, सिकंदर ने कहा ।
डायोजनीज इस पर बोले, ‘जो करना हो करो। मेरा कोई आग्रह नहीं है, पर अगर तुम आखिर आराम ही करना चाहते हो, तो उसके लिए पूरी दुनिया का चक्कर लगाने की क्या जरूरत है ? देखते हो ? कितना सुंदर मौसम है? कितनी प्यारी धूप है? कितनी नर्म रेत है ? कितनी मस्त हवा चल रही है ? छुट्टी कर सब की, तू भी सबसे छूट जा। ये ताज गिरा दे, कपड़े उतार, और यहीं लेट जा। देख आराम, कितना आराम है।’
पर सिकंदर को आराम कहां था ? आप सब यह जानते हैं कि वह कभी यूनान न लौट सका, कभी आराम न कर सका। वह रास्ते में ही मर गया ।
इसलिए आप अपने आप से भी एक बार यह पूछो तो सही – ‘मैं कब आराम करूँगा ?’
है न विचारणीय प्रश्न? तनिक विचार कीजिये। आपका मन जो भी उत्तर दे, उसका पालन कीजिये। यही इस आराम हिंदी लघु कहानी का उद्देश्य है। आपका इस ब्लॉग बेहतरलाइफ़ डॉट कॉम पर पधारने के लिए धन्यवाद!
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