Do Your Assets Earn?/ क्या आपकी संपत्ति आपको कमा के दे रही है?
सबसे पहले, क्या आप जानते हैं की आपके पास कौन सी संपत्तियाँ हैं. मैं चाहता हूँ कि आप अपनी दीर्घकालीन संपत्तियों (फिक्स्ड एसेट्स) और अल्पकालीन संपत्तियों (कर्रेंट एसेट्स) दोनों को शामिल कर लें. फिक्स्ड एसेट्स वे होते हैं, जिन्हें नकद में बदलने में समय लगता है और कर्रेंट एसेट्स वे होते हैं, जिन्हें आसानी से नकद में बदला जा सकता है. क्या आपने उनकी सूची बना ली है. अगर नहीं, तो इसी समय बना लें.
उम्मीद है कि आपने सूची बना ली है. यह लिस्ट कुछ इस प्रकार से होगी.
1. मकान
2. जमीन
3. गाड़ियाँ
4. पेंशन फंड
5. नकद
6. गुडविल
7. पेंटिंग, एंटिक आइटम आदि
8. निवेश
9. दूसरों को उधार दिया धन
10. फर्नीचर और अन्य सामान
11. पेटेंट
12. स्टाक और बांड
13. बौद्धिक संपदा
अगर आपके पास कंपनी है, तो आप इसमें इस तरह की चीजें भी शामिल कर सकते हैं.
1. तैयार सामान
2.जो काम चल रहा है
3. कच्चा माल
4.फैक्ट्री और मशीनें
5. औजार
6. ट्रेडमार्क
7. मेलिंग लिस्ट्स
जब आप इसे सूची के रूप में लिखेंगे, तो आपको संपत्तियों से अधिक पैसे बनाने की अनंत संभावनाएँ दिखने लगेंगी.
मैं यह कहना चाहता हूँ कि:
किसी भी सम्पत्ति को निष्क्रिय न रहने दें – अगर आपके पास मकान हो, तो उसे किराए पर उठा दें. मेरा मतलब सिर्फ रहने के लिए देने से नहीं है. जहाँ लोगों के लिए पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था नहीं है, वहाँ कुछ लोगों ने गैरेज या थोड़ी सी जमीन किराए पर दे दी है. लीक से हटकर सोचें और किसी चीज को कम न आँकें.
कोई सम्पति तब तक अच्छी नहीं है, जब तक वह आपके लिए काम न कर रही हो – अगर इसका मूल्य बढ़ रहा हो, तभी यह मूल्यवान है. जैसे आपने शहर में 20 लाख लगाकर एक प्लाट ख़रीदा. आपको वह प्लाट कुछ रिटर्न नहीं दे रहा है लेकिन उसका दाम बढ़ रहा है अर्थात वह संपत्ति आपके लिए काम कर रहा है और कमा रहा है.
कभी भी नकद को निठल्ला न रहने दें – इससे यह बोर हो जाता है और आपसे दूर चला जाता है. इससे काम करवाएँ.
व्यवसाय संबंधी सलाह यह है.
बने हुए सामान और कच्चे माल को न्यूनतम रखें – इन चीजों की अधिकता का मतलब कम फायदा है.
डेप्रिसिएशन एक गन्दा शब्द है – इसका कम से कम इस्तेमाल करें. और खुद पर लागू न करें. अगर आप अपनी मशीनों को डेप्रिशिएट नहीं कर रहे हैं, तो अपनी नेट वर्थ के बारे में खुद को मूर्ख बना रहे हैं.
अगर आप किसी चीज के मालिक हैं, तो उस पर क़र्ज़ ले लें, ताकि आप अधिक खरीद सकें और फिर उस पर भी क़र्ज़ ले लें, ताकि और तेजी से विस्तार हो सके, सभी कम्पनियाँ या तो विस्तार करती हैं या सिकुड़ती हैं, वे पेड़ों की तरह हैं, जो या तो फलते – फूलते और बढ़ते हैं, या फिर कुम्हलाते और मरते हैं. विकल्प चुनना आपके हाथ में है. किसी मशीन या उपकरण का सुरक्षित अवधि से आगे प्रयोग करना झूठी मितव्ययिता है. इसके कानूनी परिणाम घातक हो सकते हैं.
कभी भी जरूरत से ज्यादा उधार न दें – कर्ज में दिया धन बर्बाद होता है.
जिन्हें कर्ज दिया हो, उनके पीछे पड़े रहें.
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