Papaya Health Benefits in Hindi /पपीता स्वास्थ्य के लिए अति गुणकारी
जब से देश में डेंगू का कहर बढ़ा है पपीते की मांग और महत्व बढ़ा है. जुलाई से लेकर अक्टूबर महीने तक खासकर शहरों में पपीते के फल को कौन कहे एक -एक पत्ता सौ रुपये तक बिकते हैं. आखिर क्यों? क्योंकि पपीते के पत्ते का रस पिलाने से प्लेटलेट्स (platelet count) तेजी से बढ़ता है.
इस फल के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह अमेरिका के दक्षिणी इलाकों में पाया जाता था. वहीँ से इसे सुप्रसिद्ध नाविक कोलम्बस अपनी द्वितीय यात्रा में पुर्तगाल ले गया था. बाद में यह गुणकारी फल एशिया महाद्वीप में भी फैल गया। आज यह फल भारत में पर्याप्त संख्या में पाया जाता है और लगभग हर प्रदेश में लोकप्रिय है। पौष्टिक होने के साथ ही पाचक फलों में इसका प्रमुख स्थान है।
महत्वपूर्ण रोग निवारक तत्वों का भंडार होने के कारण कई रोगों में इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। हमारे देश के विभिन्न प्रांतों में अब इसकी खेती बहुतायत में होने लगी है।
पपीते के पेड़ की लम्बाई 25 फीट के लगभग होती है। इसके पत्ते अरण्डी के पत्तों की तरह होते हैं। छाल का रंग सफेद होता है, और पत्तों के बीच में लटका रहता है। कच्चे फल का छिलका हरा और गूदा सफेद रहता है, लेकिन पक जाने के बाद इसका छिलका कुछ केसरिया रंग का होता है।
पपीते के गुण को जानिये Health in Hindi
आयुर्वेद विशेषज्ञों ने पपीते को कई महत्वपूर्ण गुणों का खान बताया है। उनके अनुसार कच्चा पपीता मलरोधक, कफ और वात को नष्ट करने वाला होता है। अतः पके फल का ही सेवन करना चाहिए। अच्छी तरह पका फल खाने में मधुर रुचिकारक, पित्तनाशक, भारी और स्वादिष्ट होता है।
ज्यों ही आम पकता जाता है इसके विटामिन कम होते जाते हैं। परन्तु पपीते में विटामिन बढ़ते ही जाते हैं। पके पपीते में 68 से 100 मिलीग्राम तक विटामिन सी (Vitamin C) रहता है। पके फल में उचित गुणों की अधिकता के कारण वह पेट के रोगियों के लिए काफी गुणकारी माना जाता है। इसलिए पेट के रोगियों को इसके सेवन की सलाह दी जाती है.
पपीते का रासायनिक अवयव
लगभग 25 ग्राम पपीते के सेवन से जीवनदायक 14 कैलारियां प्राप्त हो सकती हैं। पपीते में पेप्सिन (pepsin) नामक पदार्थ की मौजूदगी के कारण यह पाचन शक्ति में वृद्धि कराने तथा मन्दाग्नि को दूर करने की क्षमता रखता है। सूर्य किरणों का भी इस फल पर अद्भुत प्रभाव परिलक्षित होता है। विटामिन ए और सी इसमें काफी होते हैं।
पपीते में पाए जाने वाले तत्व
पपीता में 89.6 प्रतिशत पानी 0.5 प्रतिशत प्रोटीन, 0.1 प्रतिशत वसा 0.4 प्रतिशत खनिज पदार्थ और 9.5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट्स पाया जाता है.
एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि ”विटामिन ए के अभाव में शरीर में रोग के कीटाणु प्रवेश कर जाते हैं जिनके कारण निमोनिया, तपेदिक, श्वास एवं दृष्टि रोग हो सकते हैं।
विटामिन सी न मिलने पर स्कर्वी, एनीमिया आदि का भय होता है। पपीता इन विटामिनों से युक्त होने के कारण उपर्युक्त रोगों से रक्षा कर, शरीर को कान्तिमय एवं शक्तिशाली बनाता है। इसमें आयरन होने के कारण इससे रक्त की वृद्धि होती है, तथा फास्फोरस (phosphorus) होने के कारण मस्तिष्क एवं वात संस्थान को शक्ति प्राप्त होती है। कैल्शियम होने से यह हड्डियों को मजबूत बनाता है। पपीते में कार्बोहाइड्रेट होने से शरीर की गर्मी बढ़ती है, और प्रोटीन मांस की वृद्धि करता है।
पपीते का उपयोग
पपीते के उपयोग कई तरह से किया जाता है. इसे न केवल फल के रूप में बल्कि कच्चे फल से सूखी सब्जी, रसदार सब्जी तथा रायता एवं आचार के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है।
अन्य सब्जियों की तरह ही इसको सुखाकर बेमौसम में भी इसकी सब्जी का आनन्द लिया जा सकता है। पपीते की खीर तथा हलवा पौष्टिक और रुचिकारक भोज्य पदार्थ भी माने जाते हैं। कच्चे फल के दूध को एकत्रित करके पापेन के रूप में सुरक्षित किया जाता है।
पापेन ऊनी तथा सूती वस्त्रों को सिकुड़ने से भी बचाता है। कई महत्वपूर्ण औषधियों में भी इसे काम में लाया जाता है। आजकल पापेन की मांग अधिक है। विदेशी मुद्रा कमाने का यह महत्वपूर्ण अंग बनता जा रहा है।
पके फल के गूदे को दूध-चीनी में घोल कर या नींबू के साथ इसका शरबत बनाकर गर्मी में पीने से काफी लाभदायक सिद्ध हुआ है। यह शरबत सस्ता तो पड़ेगा ही, काफी गुणकारी भी रहेगा।
अच्छे पके फल के टुकड़े सेब, ककड़ी, संतरा के साथ नमक, काली मिर्च और नींबू या संतरे का रस मिलाकर आप स्वादिष्ट सलाद भी बना सकते हैं। इनके अतिरिक्त इसके जैम, जैली, तेल तथा सिरके के साथ आचार भी बनाए जा सकते हैं।
पपीत के फल को नियमित रूप से प्रतिदिन खाली पटे खाते रहने से सौंदर्य में निखार आता है। इसका गूदा चेहरे पर प्रतिदिन रगड़कर धो डालने से मुहांसे, झाइयाँ, आदि दूर होकर सुंदरता निखरती है। इससे त्वचा पर सकुमारता और कांति आती है। सौंदर्य वृद्धि का यह सस्ता उपाय है।
पपीते का औषधि रूप में प्रयोग Papaya Health Benefits in Hindi
चूँकि पपीता में कई महत्वपूर्ण रोग निवारक तत्व पाए जाते हैं , इसलिए कई रोगों में इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। हमारे दैनिक जीवन में आने वाली सामान्य बीमारियों में पपीते के माध्यम से निम्न सरल उपचार किया जा सकता है।
समय आने पर आप भी इनका प्रयोग करके सहज ही पपीते के गुणों से लाभ उठा सकते हैं।
1. पपीता के पत्ते का रस पिलाने से प्लेटलेट्स की संख्या (platelet count) में तेजी से वृद्धि होती है. अतः इसे डेंगू के मरीज को (dengue treatment) दिया जाता है. पपीता के फल के सेवन से भी प्लेटलेट्स काउंट बढ़ता है.
2. बच्चों के यकृत के बढ़ जाने पर पपीते का रस 5-7 बूंद चीनी के साथ मिलाकर दिन में तीन बार देते रहना चाहिए।
3. रक्ताल्पता (anemia) की वजह से अधिकांश स्त्रियों को दूध कम हो जाया करता है। ऐसे रोगियों को ताजे, अच्छे पके हुए पपीते लगातार दस-पन्द्रह दिन तक खिलाने चाहिए। इससे दूध बढ़ेगा और रक्त की कमी तथा अन्य उदर रोग भी नष्ट होंगे।
4. यकृत रोगों, पीलिया (Jaundice), वात व्याधि में पपीते का रस 5 से 10 बूंद तक बताशे में रखकर खाना बहुत फायदेमंद रहता है।
5. पेट में कीड़े पड़ जाने पर या निरंतर अजीर्ण (indigestion) की स्थिति बने रहने पर पपीते के बीजों का रस अथवा कच्चे पपीते का रस पेट के कीड़े नष्ट करने में बड़ा लाभकारी रहता है।
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6. बवासीर (Piles) के मस्सों पर कच्चे, ताजे पपीते का रस लगातार कुछ दिन लगाने पर मस्से कट कर गिर जाते हैं, और रोगी चंगा हो जाता है।
7. कच्चे पपीते की सब्जी तथा रायता खाने से अजीर्ण आंतों के रोग और उसके कृमि (worms) तुरन्त नष्ट होते हैं।
8. मन्दाग्नि के रोगियों को पपीते के अधपके फल से दूध इकट्ठा करके औषधि के रूप में पानी में मिलाकर लगातार 10-15 दिन तक लेते रहना चाहिए। इससे खुलकर भूख लगने लगेगी।
9. पेट के रोगियों, तिल्ली आदि में खाली पेट अच्छा पका हुआ ताजा पपीता खाना चाहिए। इससे आमाशय और आंतें साफ हो जाती हैं और संस्थान ठीक से काम करने लगता है।
10. पपीते का हलवा तथा खीर वजन और बल बढ़ाने में एक चमत्कारिक औषधि का काम करते हैं। पपीते का फल पचने में हलका और काफी पौष्टिक होता है। जिन्हें कच्चा पपीता खाने में रुचिकर नहीं लगता वे जरा-सा सेंधा नमक, काली मिर्च छिड़क कर खाएं।
11. सुखाया हुआ और नमकीन पपीता बढ़े हुए यकृत, तिल्ली तथा अन्य पेट के रोगों में फायदेमन्द है। इसका शर्बत गर्मीजन्य रोगों में अत्यधिक लाभदायक है। पपीता ऐसा फल है, जिसे हम कई रूपों में काम में ला सकते हैं। इसे खाते रहने से हम बहुत से रोगों से बचे रहते हैं। कुछ स्थानों को छोड़कर आज भी पपीता एक सस्ता, सुलभ और लोकप्रिय फल है। इसके गुणों को देखते हुए हमें इसका अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।
12. दाद, खुजली, तथा अन्य चर्म रोगों पर कच्चे पपीते का ताजा रस/दूध कुछ दिन लगातार लगाते रहने से उनसे मुक्ति पा सकते हैं। चर्म रोगों (Skin diseases) को जड़ से मिटाने में यह दूध काफी गुणकारी है।
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इसलिए आप पपीते को अपने भोजन का भाग बनायें. इस गुणकारी फल के सेवन से आपको अभूतपूर्व लाभ मिलेगा. आपका इस ब्लॉग पर पधारने और Papaya Health Benefits in Hindi पोस्ट पढने के लिए बहुत – बहुत धन्यवाद!
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