आप देश के किसी भी छोटे अथवा बड़े शहर में जाएँ, आपको हर तरफ लोग ही लोग और सिर ही सिर दिखाई पड़ेंगे. हमारे देश ने विकास तो जरुर किया है लेकिन जनसँख्या के मामले में कुछ ज्यादा ही विकास किया है. ये जनसँख्या विस्फोट क्यों हुआ है? इसपर आपने विचार किया है. यह सब कुव्यवस्थाओं के कारण हुआ है. इस पोस्ट Population Control Essay in Hindi में हम इसी पर विचार करेंगे.
Population Control Essay in Hindi जनसंख्या नियन्त्रण पर निबंध
भारत के सामने जनसँख्या वृद्धि की समस्या वाकई में बहुत जटिल समस्या है. यह एक बड़ी, गंभीर और खतरनाक समस्या है. भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या एक कोढ़ है, जबकि उसमें शरणार्थियों की समस्या खाज के समान है.
पापुलेशन कंट्रोल या जनसंख्या नियन्त्रण या परिवार नियोजन का अर्थ है- बढती हुई जनसंख्या पर नियन्त्रण पाना. किसी भी राष्ट्र के लिए जनसंख्या का होना अत्यंत आवश्यक है. यदि जनसंख्या विहीन हो जाने पर राष्ट्र का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, तो जनसंख्या के बेकाबू हो जाने पर राष्ट्र का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है. जैसे पानी के बिना नदी की कल्पना करना असंभव है, वैसे ही जनसंख्या के बिना किसी राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती. प्रज्ञा विहीन मथुरा- मंडल का राज्य वज्रपान को निर्जन वन सा लगता है. इसीलिए वे दुखी होकर राजा परीक्षित से कहते हैं. – ”राज्य का सुख तभी है, जब प्रजा रहे.” राज्य के निर्माण की एक मुख्य ईकाई नागरिक यानी जनसँख्या को माना जाता है.
सुप्रसिद्ध चिंतक गार्नर का विचार
लेकिन विचारणीय प्रश्न यह है कि किसी राष्ट्र में कितनी जनसंख्या होनी चाहिए. इस संबंध में सुप्रसिद्ध चिंतक गार्नर का विचार है कि किसी राज्य की जनसंख्या उतनी ही होनी चाहिए, जितनी साधन-संपन्नता राज्य के पास हो. जनसंख्या किसी देश के लिए वरदान होती है, परन्तु जब यह अधिकतम सीमा रेखा को पार कर जाती है, तब यह अभिशाप बन जाती है.
वर्तमान में जनसंख्या-विस्फोट भारत के लिए एक समस्या बनी हुई है. जनसंख्या की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में दूसरा है, जबकि क्षेत्रफल में यह विश्व में सातवें स्थान पर है. बढती हुई जनसंख्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत की आबादी मात्र 36 करोड़ थी, जो आज एक अरब 25 करोड़ से अधिक हो चुकी हो.
सवा सौ करोड़ भारतीय
हमारे देश के प्रधानमंत्री अपने भाषणों में हमेशा सवा सौ करोड़ भारतीय का जिक्र करते हैं. भारत का क्षेत्रफल दुनिया के क्षेत्रफल का 2.5 प्रतिशत है, जबकि विश्व की 15 प्रतिशत आबादी भारत में ही बसती है. अगर भारत में जनसंख्या इसी तरह बढती रही, तो वह समय दूर नहीं, जब यहाँ के निवासियों को रहने की जगह नहीं मिलेगी. विशाल जनसंख्या के कारण हमारे देश को अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.
अत्यधिक जनसंख्या बढ़ने से हमारी आर्थिक प्रगति रूकी हुई है. बेरोजगारी का समूल विनष्टीकरण असंभव सा प्रतीत हो रहा है. जनसंख्या वृद्धि के कारण दिनों-दिन मकान आदि बनते जा रहे हैं, जिससे कृषियोग्य भूमि घट रही है. उद्दोग धंधों में अधिक मजदूर होने से उन्हें उचित पारिश्रमिक नहीं मिल पा रहा है. शरणार्थीयों की संख्या बढने से उनके रहने के लिए पर्याप्त भूमि नहीं मिल पा रही है. जनसंख्या-विस्फोट से व्यक्ति को तन ढकने के लिए कपड़ा, रहने के लिए मकान और खाने के लिए रोटी नहीं नसीब हो रही है.
सवाल यह उठता है कि जनसंख्या वृद्धि के कौन-कौन से कारण हैं. अशिक्षा के कारण प्राय: भारत के अधिकांश व्यक्ति रूढ़िवादी प्रवृत्ति के हैं. वे अंधविश्वास में फंसकर पुत्र की लालसा में कई बेटियां पैदा करते हैं. इस कारण वे परिवार नियोजन का महत्व नहीं समझते. जनसंख्या वृद्धि के अनेक अन्य कारण भी हैं – संयुक्त परिवार प्रथा, परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रति उदासीनता, भाग्यवादी दृष्टिकोण तथा भौगोलिक स्थिति आदि.
छोटा परिवार सुख का आधार
वर्तमान समय में इस समस्या का समाधान अत्यंत आवश्यक हो गया है, अन्यथा विकास कार्यक्रम के सारे लाभ जनसंख्या- विस्फोट रूपी सुरसा द्वारा निगल लिए जाएंगे. अत: सरकार और जनता दोनों को इससे लड़ना होगा. इस दिशा में सरकार का प्रयास जारी है. शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है. बाल विवाह और बहु विवाह पर कानूनी पाबंदी लगाई गई है. परिवार नियोजन का भी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. उस पर अनेक आकर्षक नारे भी लिखे रहते हैं. परिवार नियोजन के मूल वाक्य इस प्रकार हैं.एक या दो बच्चे, होते हैं घर में अच्छे – हम दो, हमारे दो-कम सन्तान, सुखी इन्सान- छोटा परिवार सुखी परिवार या सुख का आधार.
इन सभी उपायों से भारत को आंशिक सफलता मिली है. लेकिन आज सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि लोग स्वेच्छापूर्वक इस कार्यक्रम से जुड़ें. लोगों को अपने दिमाग में यह बात बैठा लेनी चाहिए कि छोटा परिवार ही सुख का आधार होता है.
शिक्षा वह अस्त्र है जिसको अपनाकर जनसँख्या को कम किया जा सकता है. एक शिक्षित परिवार यह जानता है कि ज्यादा बच्चे किस प्रकार उनके लिए एक भार है. एक या दो बच्चे रहने से माता पिता उनको सही शिक्षा, सही परवरिश दे सकते हैं. जनसँख्या नियंत्रण करने के लिए जब तक आम नागरिक सजग और जागरूक नहीं होंगे तबतक सरकार का प्रयास भी सार्थक नहीं हो सकता. अति आबादी राष्ट्र के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा साबित होता है.
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जनसँख्या नियंत्रण करने के लिए जब तक आम नागरिक सजग और जागरूक नहीं होंगे तबतक सरकार का प्रयास भी सार्थक नहीं हो सकता. अति आबादी राष्ट्र के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा साबित होता है.
सटीक आकलन एवम प्रस्तुति।
Correct mam
सही कहा आपने, देश के सम्पूर्ण विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण बेहद आवश्यक है।
jansankhaya ko badhne se rokne k liye samaj ko aur adhik jakruk hone ki jarurat hai, hamare pradhanmantri ji ko vi is par vichar karna chahiye, jis prakar se jansankhya badh rahi hai aage chalkar roji roti or rahne ke liye hame sangharsh karna padega, hamare bachho ka bhavishya andhakar ho jayega, unhe jivan bitane k liye kafi sangharsh karna padega, kripya is par vichar kare
भाई आपने बहुत ही अच्छी तरह से निबंध लिखा है इस निबंध को पढ़कर कोई भी आसानी से समझ सकता है आपका बहुत बहुत धन्यवाद