मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहूँ सुदशरथ अजिर बिहारी…श्रीरामचरितमानस की यह चौपाई भारत के हर हिन्दू घरों में सुनाई देती है। श्री राम और श्री कृष्ण दो ऐसे अवतार हुए हैं जिनकी गाथा हर घर में गाई जाती है। प्रस्तुत पोस्ट Ram Janm Bhumi Issue in Hindi राम जन्म भूमि विवाद में हम श्री राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।
भगवान श्री राम के पुत्र कुश द्वारा मंदिर का निर्माण
भगवान राम का जन्म वर्तमान के उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुआ था। उनकी माता का नाम कौशल्या और पिता महाराज दशरथ थे। अपनी सौतेली माता कैकयी और मंथरा की कुटिल चाल के कारण उन्होंने अयोध्या का त्याग कर 14 वर्षों का वनवास स्वीकार किया। वनवास के दौरान शूर्पनखा की नाक काटने की घटना हुई, जिसकी प्रतिक्रिया में रावण ने माता सीता का हरण कर लिया। वनवास से वापस आने पर एक धोबी द्वारा भगवान राम के ऊपर आक्षेप लगाने के बाद माता सीता को पुनः जंगल जाना पड़ा और वहीं लव और कुश का जन्म हुआ। भगवान राम सिर्फ मर्यादा पुरुषोत्तम ही नहीं बल्कि एक आदर्श राजा भी थे। उनकी जन्मभूमि पर उनके पुत्र कुश द्वारा एक मंदिर का निर्माण कराया गया था।
राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद Ram Janm Bhumi Issue in Hindi
यूनानी आक्रमणकारी मिनेंडर ने 150 ईसवी पूर्व में सबसे पहला आक्रमण किया और अयोध्या में निर्मित राम मंदिर को ध्वस्त कर दिया। शुंग राजा घुम्त्सेन ने तीन माह के भीतर ही उस मंदिर का निर्माण फिर से करा दिया। उस समय जब भारत में बौद्ध धर्म अपने चरम पर था, राम मंदिर की उपेक्षा होती रही। उज्जैन के राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने पुराने दस्तावेजों के आधार पर रामजन्म भूमि का निर्धारण किया और पुनः उस मन्दिर का निर्माण कराया। वहां एक भव्य कलात्मक मन्दिर था, जिसमें 84 काले कसौटी के स्तंभ थे। इस मन्दिर पर सन 1033 ई. में सालार महमूद ने दो बार आक्रमण किया। राजा सुलहदेव ने उसे बहराइच के युद्ध में मार डाला।
बाबा रामचन्द्र दास और फकीर अमीर अली को फांसी
मुगल साम्राज्य के प्रथम बादशाह बाबर ने सन 1520 से 1530 के मध्य इस मन्दिर पर चार बार आक्रमण किए। उसके सेनापति मीर बाकी ने मन्दिर को ध्वस्त करके उस मलबे पर मस्जिद का निर्माण कराया। तब से लेकर अब तक मन्दिर बनाने के लिए हजारों बार आक्रमण हो चुके हैं। राजा टोडरमल और बीरबल की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने मस्जिद के पास एक चबूतरे पर मन्दिर निर्माण की आज्ञा दे दी, परन्तु हिन्दुओं का संघर्ष चलता रहा। सन 1851 में बाबा रामचन्द्र दास और फकीर अमीर अली में समझौता हो गया। तदनुसार मन्दिर हिन्दुओं को लौटा दिया गया, परन्तु अंग्रेजों को यह अच्छा नहीं लगा। उन्होंने बाबा रामचन्द्र दास और फकीर अमीर अली को फांसी पर लटका दिया।
आजादी के बाद 22 अक्टूबर,1949 को फैजाबाद के तत्कालीन कलेक्टर श्री के. के. नायर ने उस कथित बाबरी मस्जिद में राम लला की मूर्ति स्थापित करवा दी, परन्तु मुस्लिम वोटों की खातिर सरकार ने उसमें ताले लगवा दिए। लेकिन वहां पूजा-अर्चना चलती रही। श्री रामजन्म भूमि संघर्ष समिति के लगातार सत्याग्रह से 1 फरवरी, 1986 को श्री राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में मन्दिर के द्वार खोल दिए गए।
प्रयाग के कुंभ मेले में 1 फरवरी, 1989 को एक विशाल संत सम्मेलन में यह निश्चय किया गया कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर एक विशाल मन्दिर का निर्माण किया जाए। उसका शिलान्यास प्रबोधनी एकादशी पर 9 नवंबर, 1989 को किया जाए। शिलान्यास रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने कई रोड़े अटकाए। विभिन्न प्रदेशों में मन्दिर के लिए मुहिम चलाई गई।
श्री कामेश्वर चौपाल ने किया शिलान्यास
राम मूर्ति से 152 फीट पूर्व तथा वहां से साढ़े सत्रह फीट दक्षिण में सिंह द्वार के शिलान्यास का स्थान निर्धारित किया गया। मन्दिर निर्माण का भार प्रधान वास्तुविद श्री चन्द्रकांत सोमपुरा के अधीन था। निर्धारित स्थान पर 9 नवंबर, 1989 को भूमि-कार्य किया गया। फिर 10 नवंबर, 1989 को एक हरिजन श्री कामेश्वर चौपाल के हाथ से शिलान्यास हुआ। इसमें 7,000 से अधिक कार सेवक एकत्रित हुए, परन्तु जिलाधीश के आदेश से कार सेवा रोक दी गई। विवाद को बढ़ता देखकर तत्कालीन प्रधानमन्त्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने चार माह में समस्या का समाधान करने की घोषणा की, परन्तु कुछ नहीं हो सका।
श्री सोमनाथ मन्दिर का जीर्णोद्धार
गुजरात प्रान्त में प्रभास क्षेत्र के निकट शिवजी का एक विशाल मन्दिर सोमनाथ मन्दिर के नाम से स्थापित था, जिसे 1025 ई. में महमूद गजनवी ने लूटकर नष्ट कर दिया था। इसके पश्चात अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति अफजल खां ने उसे तहस-नहस कर दिया। औरंगजेब के सेनापति आजम खां ने वहाँ मस्जिद बनवा दी। स्वतन्त्रता के बाद तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और डा. राजेन्द्र प्रसाद के सहयोग से पुनः मन्दिर निर्माण कराया गया, जिसमें मुसलमानों का भी सहयोग प्राप्त था।
अयोध्या में कार सेवक
भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकालने की घोषणा की। समाजवादी और वामपंथी नेताओं ने विरोध करते हुए प्रधानमन्त्री से रथयात्रा रोकने की मांग की। केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर 1990 को बिहार के समस्तीपुर में श्री आडवाणी को गिरफ्तार कर रथयात्रा रोक दी। अयोध्या के राम मन्दिर पर कार सेवक पहुंचे, जहाँ उन पर लाठी और गोलियां चलाई गई। इस घटना में अनेक कार सेवक मारे गए।
पुरातत्व विभाग की देखरेख में खुदाई
अयोध्या में कार सेवकों की एक विशाल सभा बुलाई गयी। दिन 6 दिसम्बर 1992 का था। सभा की समाप्ति के बाद वहां उपस्थित भीड़ उग्र हो गयी और उस भीड़ ने कुछ ही घंटों में बाबरी मस्जिद को तोड़कर गिरा दिया। रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के निपटारे के लिए दस्तावेज मांगे गए। तब न्यायालय में इस विवाद को पेश किया गया। न्यायालय ने उक्त भूमि के खनन का आदेश दिया। भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में खुदाई की गई, जिसमें खुदाई के पश्चात अनेक अवशेष चिन्ह मिले। इन चिन्हों से मन्दिर के होने की पुष्टि होती है।
शांतिपूर्ण हल के प्रयास
न्यायालय के बाहर भी हिन्दू और मुस्लिम नेताओं के बीच सुलह और बातचीत की कई कोशिश की गयी लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया। यदि देखा जाय तो यह मामला भारतीय संविधान और न्यायिक व्यवस्था के लिए लगातार कई वर्षों से एक चुनौती बना रहा। लेकिन आख़िरकार 9 नवम्बर 2019 को इसका समाधान मिल ही गया।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐतिहासिक निर्णय
9 नवम्बर 2019 माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों की बेंच द्वारा राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक निर्णय दिया गया। इसके अनुसार 2.7 एकड़ की विवादित जमीन राम लला को दिया गया यानी विवादित स्थल पर श्री राम जी के भव्य मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ हो गया. इस तरह से सदियों पुराने विवाद का हल सबके सामने आया है। देश के सभी जाति और धर्मों के लोगों ने इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए सबसे शांति और सौहाद्र बनाने की अपील की। इस प्रकार इस मामले Ram Janm Bhumi Issue in Hindi राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान शांतिपूर्ण समाधान हो ही गया।
श्री राम मंदिर का भूमि पूजन
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण हेतु श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र का गठन किया गया। इस ट्रस्ट का काम प्रभु श्री राम का उनके जन्म स्थान अयोध्या जी में भव्य मंदिर का निर्माण करना है। इसी क्रम में 5 अगस्त 2020 को पूरे विश्व में चल रहे कोरोना महामारी के बीच भगवान श्री राम मंदिर के निर्माण हेतु भूमि पूजन भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा किया गया। इस अवसर पर 36 आध्यात्मिक परम्पराओं के 135 संत भी उपस्थित रहे। इस दिन पूरे देश में दीप जलाकर प्रभु श्री राम की पूजा अर्चना की गई।
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Jyotirmoy Sarkar says
Very informative post,came to know some unknown facts and incidents,thanks for sharing.
kalaa shree says
jai shree Ram