प्रस्तुत पोस्ट Youth Icon Neeraj Chopra in Hindi में हम जेवलिन थ्रो में टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के बारे में जानेंगे. नीरज ने सिर्फ 23 वर्ष की उम्र में एक बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है.

वह कौन सी पांच बड़ी बातें हैं जिसने नीरज चोपड़ा को एक साधारण इंसान से अतिविशिष्ट की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है. आइये जानते हैं:-
1. सही करियर का चुनाव Youth Icon Neeraj Chopra in Hindi
जैसा कि आप सबको पता होगा कि यदि आप अपनी पसंदीदा क्षेत्र में अपना करियर बनाते हैं तो आपके सफल होने की प्रबलतम संभावना रहती है.
यह बात सही है कि नीरज के पिताजी ने उसकी मोटापा की समस्या को देखते हुए पास के ही एक खेल परिसर में ले गए. बाद में पानीपत के स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के सेंटर में दाखिला कराया. वहां जयवीर चौधरी नाम के ट्रेनर ने उन्हें जेवलिन फेंकने को कहा. बिना किसी तरह की तैयारी या उस खेल की जानकारी के नीरज ने लगभग 40 मीटर दूर भाला फेंका. यह अपने आप में एक विशेष प्रतिभा की पहचान थी. जयवीर साहब अब उसके पहले कोच थे. इस प्रकार नीरज को अपने पसंद के स्पोर्ट्स को आगे बढ़ने का मौका मिल चुका था.
2. उत्तम गुरु या कोच का योगदान Youth Icon Neeraj Chopra in Hindi
नीरज के अभीतक के करियर में कई कोच आये. जयवीर चौधरी, नसीम अहमद, काशीनाथ नायक, ऊबे होन आदि कई कोच और ट्रेनर ने उन्हें ट्रेन किया. परिणामतः उनमें निरंतर निखार आता गया. उनकी तकनीक अच्छी होती गई. उन्होंने २०१३ से लेकर २०२१ तक कई मैडल जीते. इसलिए सही दिशा में सही मार्गदर्शन आपको जल्दी ही सफलता के शिखर पर लेकर जाता है.
3. कड़ी मेहनत Youth Icon Neeraj Chopra in Hindi
अभी टोक्यो ओलंपिक में ८७.५८ मीटर फेंककर स्वर्ण पदक जीतने के बाद नीरज की ट्रेनिंग के कई विडियो वायरल हुए. शायद आपने भी देखी होगी. उन विडियो को देखकर यह तो साफ़ है कि नीरज ने इस उंचाई को हासिल करने के लिए जीतोड़ मेहनत की है. यदि आप एक छात्र हैं या खिलाड़ी हैं या स्ट्रगलर हैं; चाहे आप किसी भी फील्ड में क्यों न हों, आपको मेहनत करनी चाहिए.
4. सकारात्मकता यानी पाजिटिविटी
यदि नीरज के करियर को देखा जाय तो वे लगातार अपने प्रदर्शन को सुधारते रहे हैं और अपनी झोली में पदकों की संख्या बढ़ाते रहे हैं. लेकिन यह बात भी सच है कि उन्हें चोट भी आयी थी. फिर भी वे पॉजिटिव रहते हुए अपने फिटनेस को बनाये रखा. चाहे परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो हमें हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए.
5. हिम्मते मरदा मददे ख़ुदा
देखा जाय तो नीरज का पारिवारिक पृष्ठभूमि एक किसान परिवार का है. जेवलिन जैसे खेल के लिए आपके पास उचित संसाधन होने चाहिए. नीरज ने संसाधन हीनता का रोना कभी नहीं रोया. उसकी उपलब्धियों के साथ ही साथ मदद के हाथ उनकी तरफ बढ़ने लगे. भारतीय सेना ने उन्हें नौकरी दी और ट्रेनिंग के लिए इंटरनेशनल कोच उपलब्ध कराया. इंडियन आर्मी एवं अन्य संस्थानों ने उनको ट्रेनिंग के लिए जर्मनी भेजा जहाँ उनकी तकनीक पर बहुत जोर दिया गया और इंटरनेशनल लेवल के खिलाडियों के साथ स्पर्धा करने का अवसर मिला.
आज नीरज की उपलब्धि पर सारा देश झूम रहा है, गौरवान्वित महसूस कर रहा है. नीरज ने एक नयी राह बनाई है. भविष्य में यह अनेक युवाओं को प्रेरित कर आगे बढ़ने में मदद करेगा. उनमें नयी ऊर्जा का संचार करेगा.
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