प्रस्तुत पोस्ट Vajrasana for Obesity in Hindi यानी वज्रासन करें औए मोटापा कम करें में हम मोटापा को दूर करने में लाभदायक आसन वज्रासन के बारे में चर्चा करेंगे

मोटापा क्या है?
यह एक ऐसी शारीरिक स्थिति है, जिसमें एक व्यक्ति के शरीर में बड़ी मात्रा में वसा (चर्बी) जमा हो जाती है, जिसका उसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। मोटापा एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। 1980 से अब तक यह समस्या लगभग दोगुनी हो चुकी है। मोटापे के साथ समस्या यह है कि यह व्यक्ति के संभावित गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा देता है। मोटे लोगों में गठिया (आर्थराइटिस), उच्च रक्तचाप, कैंसर, चपटे पैर (फ्लैट पु़ट), श्वसन संबंधी रोग और यकृत संबंधी समस्या, मधुमेह आदि की संभावनाएँ हमेशा ही बनी रहती हैं। यूँ तो मोटापा को दूर करने के अनेकों उपाय हैं लेकिन एक सरल आसन से इस ओर प्रथम प्रयास किया जा सकता है. उस आसन का नाम है वज्रासन।
वज्रासन या डायमंड पोज Vajrasana for Obesity in Hindi
‘वज्र’ का अर्थ है हीरे के आकार का या वज्र और आसन’ का अर्थ है मुद्रा। वज्रासन का नाम इसके आकार के आधार पर रखा गया है – एक हीरा या वज्र। हालांकि सामान्य बैठने की मुद्रा को भी वज्रासन कहा जाता है, जिसे रोज़ाना 15 से 20 मिनट तक किया जा सकता है। इसे विशेष रूप से भोजन करने के बाद करना चाहिए, क्योंकि इससे पाचन की प्रक्रिया तेज़ होती है। इसे वज्र मुद्रा भी कहा जाता है।
वज्रासन एक समग्र और सम्पूर्ण मुद्रा माना जाता है. आइये सबसे पहले इसको करने की विधि के बारे में जानते हैं।
विधि (Method)
पहले समतल सतह पर घुटनों को नीचे रखकर बैठें। आप इसके लिए चटाई (योगा मैट) का भी उपयोग कर सकते हैं । आपके पैर के पंजे पीछे की ओर जुड़े हुए होने चाहिए। मौसम अनुकूल आरामदायक वस्त्र का चुनाव करना चाहिए।
अपने कूल्हों को एड़ी पर और जाँघ को मांसपेशियों पर रखकर बैठें ।
आपकी रीढ़ सीधी और मुँह सामने की ओर रहनी चाहिए ।
अपने हाथों को घुटनों पर रखें ।
यद्यपि यह ज़रूरी नहीं है, लेकिन आप अपनी आँखों को बंद करके साँस भीतर लेने और साँस छोड़ने पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं ।
इस आसन को शुरू-शुरू में 5 से 10 मिनट तक रोज़ाना किया जा सकता है। इस अवधि को धीरे–धीरे आधे घंटे तक बढ़ा सकते हैं ।
लाभ Benefits (Vajrasana for Obesity in Hindi)
- वज्रासन का सबसे ज़्यादा फायदा मोटे लोगों या ऐसे लोगों को होता है, जो मोटा होने से बचना चाहते हैं । इससे पाचन में सुधार होता है । इस मुद्रा से पैरों के निचले भागों में रक्त का प्रवाह कम होता है और उदर यानी पेट की तरप़़ प्रवाह बढ़ता है, जहाँ पाचक अंग स्थित होते हैं ।
- वज्रासन से पेट में गैस बनने से राहत मिलती है और अल्सर बनना बंद होता है । इससे अपच में भी राहत मिलती है ।
- भोजन के सही पाचन में मदद मिलने के साथ ही इस आसन से पीठ के निचले हिस्से की समस्याएँ कम होती हैं, नसें मज़बूत होती हैं, पैर और जाँघें मज़बूत होते हैं, घुटनों और एड़ियों के जोड़ों में लचीलापन आता है और शरीर की मुद्रा यानी पोस्चर सही रहती है ।
क्या-क्या सावधानियां बरतें Vajrasana for Obesity in Hindi
- यह आसन करते समय घुटनों और पीठ की चोट से पीड़ित मरीज़ों को ज़्यादा सावधानी बरतनी चाहिए और इसे प्रशिक्षित विशेषज्ञ की निगरानी में ही करनी चाहिए ।
- हर्निया, आँतों के अल्सर और छोटी व बड़ी आँतों की अन्य बीमारियों के मरीज़ों पर भी यही सावधानियाँ लागू होती हैं ।
- इससे पैर, टखनों और घुटनों में भारी अकड़न की समस्या हो सकती है ।
- नई शुरुआत करने वालों को जोड़ों और श्वास को खींचने में ज़्यादा बल लगाने से बचना चाहिए ।
- यह पैरों और जांघों की नसों को मजबूत करता है।
- इसके नियमित अभ्यास से घुटनों और टखने के जोड़ों में लचीलापन आता है, कुछ आम वात रोगों में लाभ मिलता है।
- इसके अभ्यास से बिना अधिक प्रयास के पीठ में नाड़ियों (ऊर्जा चैनलों) में आसान ऊर्जा प्रवाह होता है और गर्दन और रीढ़ को को सीधा रखना आसान हो जाता है।
इसलिए इस आसन का नियमित अभ्यास कर एक स्वस्थ और बेहतर जीवन जीने का सचेष्ट प्रयास करना चाहिए. धन्यवाद!
आज विश्व गौरैया दिवस है। बचपन में हमने अपने गाँव में इस पक्षी के साथ साथ अपना जीवन बिताया है। इसे हमलोग चुनमुन्नी के नाम से बुलाते थे। इसे कुछ लोग फुदुकी भी कहते हैं क्योंकि यह फुदक-फुदक कर उड़ती है।
बहुत अच्छी जानकारी है | धन्यवाद