प्रस्तुत पोस्ट Guru Nanak Dev Stories in Hindi में यहाँ गुरु नानक देव के जीवन से संबंधित दो लघु कहानियां प्रकाशित की जा रहे है। आशा करता हूँ कि ये कहानियां आपको पसंद आयेंगी।
गुरु नानक देव की उपदेशात्मक कहानियां
संकल्प से जीवन परिवर्तन – Guru Nanak Dev Stories in Hindi
एक बार गुरु नानकदेव भ्रमण करते हुए ढाका पहुंचे। उन दिनों पूरे ढाका शहर में भूमिया नाम के एक दुर्दांत अपराधी का आतंक व्याप्त था। उसका फरमान था कि कोई भी साधु या फ़कीर दीखे तो रात में उसे मेरे पास भेज दो। दरअसल दिन भर लूटमार और अपराध में लिप्त रहता और रात में अपने घर में साधुओं को ठहराकर उनकी खूब सेवा किया करता।
उस दिन नानक देव रात को ढाका पहुंचे थे, इसलिए लोगों ने उनको भूमिया के घर भेज दिया। भूमिया उनके तेजोमय व्यक्तित्व को देखकर बहुत प्रभावित हुआ।
उन्होंने भूमिया से पूछा – “क्या करते हो?”
भूमिया ने उत्तर दिया – “चोरी और लूटमार करता हूँ। मैं अपने इस काम को छोड़ नहीं सकता। लेकिन मेरी आपसे विनती है कि आप मुझे उपदेश दीजिये। ”
नानक देव ने कहा – “संकल्प लो कि सदा सत्य बोलोगे। जिसका नमक खाओगे, उसको हानि नहीं पहुंचाओगे। ”
भूमिया ने संकल्प ले लिया।
उसने कुछ दिनों तक कोई अपराध नहीं किया। लेकिन एक दिन साथियों के बहकाबे में आकर एक नबाब के घर चोरी करने चला गया। कमरे में पकवान रखे थे। उसने एक नमकीन पकवान उठाया और मुंह में रख लिया। घर के कीमती सामान को भी एक गट्ठर में बाँध लिया। वह वहां से निकलने वाला ही था कि उसे नानकदेव के शब्द याद आ गए। वह सारा सामान वहीँ छोड़कर घर से निकल गया। उसने कसम खाई कि वह अब कोई भी गलत काम नहीं करेगा। इस प्रकार नानकदेव के उपदेश से उसका जीवन बदल गया।
सत्य ही धर्म है – Guru Nanak Dev Stories in Hindi
महान संत और समाज सुधारक गुरु नानक देव एक बार सद्ज्ञान और सत्य विचारों का प्रचार करते हुए एक नगर में पहुंचे। वहां शाह शरफ नाम के एक फ़कीर रहते थे।
वे गुरु नानक देव की ख्याति के बारे में सुनकर उनके पास सत्संग करने के लिए पहुंचे। फ़कीर शाह शरफ ने नानक देव जी को गृहस्थ वाले कपड़ों में देखा तो बड़े ही सहज भाव से उनसे पूछा – “आप तो संत हैं फिर भी आपने न तो संतों वाले कपड़े पहने हैं और न ही सिर मुंडवाया है। ऐसा क्यों?
नानकदेव जी जबाव दिया – “मैं मानता हूँ कि यदि करना ही है तो मन को साफ़ करो, सिर को नहीं। कपड़े चाहे जैसे भी पहन लो, मन को फकीरी में रमाओ। कपड़ों का नहीं बुरी आदतों का त्याग करनेवाला ही सच्चा फ़कीर है। ”
शाह शरफ ने अगला प्रश्न किय – “आप किस मत –सम्प्रदाय के संत हैं?”
नानकदेव ने कहा – “मेरा मत सत्य मार्ग है, मेरी जाति सत्य है, मेरा धर्म सत्य है।”
शाह शरफ ने अंतिम प्रश्न किया- “दरवेश (फ़कीर) कौन होता है?”
गुरु नानकदेव ने उत्तर दिया – “जो सत्य पर अविचल रहे, जो प्रेम और करुना लुटाता रहे, वही सच्चा फ़कीर है। जो न क्रोध करे न अभिमान, न स्वयं दुखी हो और न किसी को दुःख दे, ईश्वर का ध्यान करता रहे और हमेशा दूसरे के सुख की कामना करता रहे, वही सच्चा दरवेश है।”
संत शाह शरफ की तमाम जिज्ञासाओं का समाधान मिल गया। उन्होंने गुरु नानकदेव को नमन किया और वहां से प्रस्थान कर गए।
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Divesh biloniya says
Sir bahut hi aacha likha hai aapne or mene aapka pura blog dekha hai aap bahut mehnat karte hai or itne saalo se aacha content ham sabko padhane ke liye de rahe hai thank you sir ji
avinash ghodke says
good sir ji nice blog
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