जिस प्रकार पैसे को से खर्च करने के लिए घरों में लोग बजट बनाते हैं, सरकार देश का बजट बनाती है, उसी प्रकार समय की बर्बादी को रोकने के लिए और उसका सदुपयोग करने के लिए सबको टाइम टेबल बनाना चाहिए.
टाइम टेबल दो तरीके से बनाया जा सकता है – पूर्ण रूप से लिखित टाइम टेबल या संक्षिप्त टाईमटेबल. आइये देखते हैं कि टाइम टेबल बनाकर किस प्रकार आप अपने समय का ध्यान रख सकते हैं.
पूर्ण टाईमटेबल
एक complete timetable में दिन के 24 घंटे का पूरा ध्यान रखा जाता है कि कब आप क्या करेंगे. आप इसे समय को विभाजित कर बना सकते हैं.
मैं यहाँ महात्मा गाँधी का पूर्ण टाईमटेबल का उदहारण दे रहा हूँ.
सुबह :
4.00 जगना
4.20 सुबह की सामूहिक प्रार्थना, लेखन या आराम
7.00 नाश्ता, लगभग ५ किमी सैर करना, आश्रम के रसोई में मादा करना, सफाई कार्य- शौचालयसाफ करना, बर्तन धोना, सब्जी काटना, आटा पीसना आदि
8.30 आगंतुकों से मिलना, पढना या लेखन
9.30 धूप में तेल मालिश करना और टब स्नान, दाढ़ी बनाना
11.00 खाना
दोपहर :
1.00 पत्राचार, आग्नातुकों से मिलना
4.30 चरखा चलाना और सूत काटना
शाम :
5.00 शाम का भोजन
6.00 सायंकालीन प्रार्थना, संबोधन
6.30 शाम को थोड़ी देर घूमना
9.00 सोने चले जाना
उपरोक्त टाईमटेबल को देखने के बाद आप भी एक ऐसा ही टाइम टेबल बना सकते हैं:
8 घंटे सोना, स्नान और ध्यान
2 घंटे नाश्ता, खाना, फ्रेश होना आदि
2 घंटे टीवी देखना, पेपर पढना, आदि
1 घंटा कहीं जाना, आना, नौकरी पर जाना या यात्रा में लगने वाला समय
1 घंटा सोशल वर्क, मीटिंग, चर्चा, आदि
1 घंटा घरेलु काम यानि पारिवारिक जीवन
8 घंटे अपना व्यवसाय, नौकरी आदि
छात्र अपनी सुविधा के मुताविक इसमें फेर बदल कर सकते हैं.
संक्षिप्त टाईमटेबल
इस तरह के टाईमटेबल में लोग अपना पूरा detailed timetable नहीं बनाकर अपने कामकाज या बिजनेस के घंटों की प्लानिंग करते हैं. उदहारण के लिए जैसे एक नौकरी करने वाला 9 से 5 बजे तक के टाइम की योजना बनाता है. शेष समय का नहीं. इसमें कभी-कभार ज्यादा काम होने पर इसमें बदलाव कर लोग अपना काम पूरा कर लेते हैं या दो-तीन घंटे ज्यादा काम कर लेते हैं.
संक्षिप्त टाइम टेबल में आप अपने काम को पूरा तो कर लेते हैं लेकिन यह सिर्फ आपके एक ही लक्ष्य को पूरा कर पाता है जबकि पूर्ण टाइम टेबल आपके हर लक्ष्य को कवर करता है. इसमें आप हर क्षेत्र में जिसे आपने अपने टाईमटेबल में स्थान दिया है, में सफलता दिलाता है. इसके पालन करने से जीवन संतुलित और संपूर्ण होता है.
आप यह आपके हाथ में है कि आप किस तरह का टाइम टेबल बनाएं क्योंकि बिना किसी योजना के जीवन जीना किसी दूसरे व्यक्ति के साथ टीवी देखने जैसा है जिसके हाथ में रिमोट कण्ट्रोल हो.
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