मेरी माँ को बुलाओ हिंदी प्रेरक कहानी
एक छोटा बच्चा था. उसका नाम सेंटू था. वह बहुत ही प्यारा बच्चा था लेकिन उसे चीजों को चुराने की आदत लग गई.
एक बार की बात है. वह अपने स्कूल से एक दिन किसी बच्चे का सुन्दर चित्रों वाली किताब चुरा लाया. उसने वह किताब अपनी मां को दिखाई. उसकी वह किताब देखकर मां बोली – “अरे मेरे बच्चे तू तो बहुत होशियार हो गया है.” उसके बाद उसने एक दो बार पेन्सिल और पेन चुराई और आकर अपनी मां को दिखाया. मां ने अपने बच्चे द्वारा चोरी को रोकने की जगह उसकी तारीफ़ करती रही और उस बच्चे का मनोबल बढ़ता गया. उसके बाद वह बालक बड़ी बड़ी चोरियां करता गया और एक बार एक शहर के बड़े शोरूम पर ही हाथ साफ़ कर दिया और उसके एक गार्ड की भी हत्या कर दी. उसको यह पता नहीं था कि इस शोरूम में गुप्त अलार्म और सीसी टीवी कैमरा लगा हुआ है.
उस शोरूम के मालिक के मोबाइल पर उस चोरी करते आदमी का लाइव चित्र आने लगा और उस शोरूम के मालिक ने उस चोर को रंगे हाथ पकड़वा दिया. उस चोर का चोरी और हत्या का दोष साबित हो गया और अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई.
फांसी देने से पहले उस चोर से उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई. चोर ने कहा – “मैं फांसी पर चढ़ने से पहले एक बार अपनी मां से मिलकर उनके कान में कुछ कहना चाहता हूँ.”
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यह एक रिवाज है कि हर फांसी पर चढ़ने वाले इंसान की अंतिम इच्छा पूरी की जाती है. इसलिए जेल प्रशासन ने उसकी मां को बुलाया ताकि वह अपने बेटे से अंतिम बार मिल सके.
जब सेंटू चोर की मां उसके पास आयी तो वह अपनी मां की कान में कुछ कहने को आगे बढ़ा. लेकिन यह क्या! उसने तो कान के पास जाकर जोर से अपनी माँ का कान ही काट लिया. वहां उपस्थित जेलर और अन्य सिपाही इस घटना को देखकर हक्का- बक्का रह गए. तभी उस सेंटू चोर ने वहां सभी उपस्थित लोगों की तरफ देखते हुए बोला – “ आप सभी को मेरा अपनी मां के साथ किया गया यह वर्ताब अटपटा लगा रहा होगा लेकिन सच यह है कि जब मैंने पहली बार स्कूल में अपने मित्र की पुस्तक चुराई थी, यदि तभी मेरी मां ने मुझे रोक दिया होता, मुझे उस गलत काम को करने पर डांटा होता तो आज मेरी यह स्थिति नहीं होती. आज मैं फांसी पर नहीं चढ़ रहा होता. मुझे अपने जीवन से हाथ नहीं धोना पड़ता.
प्रेरणा:
वस्तुतः माँ बच्चों की केवल जन्मदात्री ही नहीं बल्कि प्रथम शिक्षिका भी होती है. यदि बच्चा कोई गलती करें तो उसे समझाना चाहिए और सही और गलत के बीच के फर्क को बताना चाहिए अन्यथा बच्चे गलत रास्ते पर चले जाते और भविष्य में उसके बहुत गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं.
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