आज हर तरफ प्रदूषण और पर्यावरण की चर्चा हो रही है. एक से बढ़कर एक सरकारी और गैर सरकारी प्रयास किये जा रहे हैं. मेरा मानना है कि हमें बाहर के pollution के साथ ही साथ अपने घर के प्रदूषण के बारे में सोचना चाहिए.
Keep House Pollution Free घर को प्रदूषण मुक्त रखें
आज लोग अपने घर की सुरक्षा को लेकर हमेशा चौकस रहते हैं. मोटे- मोटे लोहे के ग्रिल, शटर, ताले का प्रयोग किया जा रहा है लेकिन क्या हमारा घर प्रदूषण रहित है या नहीं, इसकी तरफ हम जरा भी ध्यान नहीं देते. ऐसे में प्रायः यह होता है कि हम जाने-अनजाने में अपने घर को कई प्रकार के प्रदूषण से भर लेते हैं. यदि इस मामले में हम थोडा-सा भी aware रहें, तो हम कई अनदेखे खतरों से बच सकते हैं. प्रस्तुत पोस्ट Keep House Pollution Free घर को प्रदूषण मुक्त रखें में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे.
यदि आपसे यह पूछा जाय कि किसी भी घर में सबसे ज्यादा pollution कहाँ होता है या दीखता है तो निःसंदेह हम सबका एक ही जबाब होगा कि प्रदूषण की शुरूआत रसोईघर से ही होती है, क्योंकि रसोई में बतौर ईंधन, मिट्टी का तेल, एलपीजी, लकड़ी, कोयला या बिजली का स्टोव आदि इस्तेमाल में लाया जाता है.
सामान्यतः हमलोग यह मानते हैं कि एलपीजी (Liquefied Petroleum Gas) से प्रदूषण नहीं के बराबर होता है, लेकिन यह बात गलत है. वास्तव में कोई भी ईंधन यहाँ तक कि एलपीजी भी प्रदूषण से मुक्त नहीं है, क्योंकि गैस 600 से 800 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जलती है. इससे लगभग 300 माइक्रोन प्रति घनमीटर नाइट्रोजन डाईआक्साइड निकलती है. मानकों के अनुसार इसका उत्सर्जन 80 माइक्रोन से अधिक नहीं होना चाहिए.
वे कौन-कौन से कारण हैं जिनकी वजह से रसोईघर प्रदूषित होती है, आइए इसके बारे में जानते हैं:
- बर्तन धोने का वाशबेसिन और उसमें लगा कूड़ेदान आधुनिक रसोईघर की शान है, तो शामत भी. वाशबेसिन में रातभर या घंटे 2 घंटे जूठे बर्तन पड़े रहने पर उनमें दुर्गन्ध आने लगती है. साथ में कूड़ेदान होने के कारण यह दुर्गन्ध और भी बढ़ जाती है, इससे बैक्टीरिया, कॉकरोच और अन्य छोटे छोटे कीड़े मकोड़े भी उत्पन्न होते हैं.
- घर की आलमारी या रैक में रखे प्लास्टिक और कांच के डब्बों पर धीरे-धीरे ऑयली dust जमा होकर उनकी चमक फीकी कर देता है. यदि बर्तन, डब्बे का रैक या रसोई का सामान रखने की आलमारी भी रसोईघर में है, तो ये सभी धुएं, गैस या भाप से प्रभावित होते हैं, जो प्रदूषण फैलाने का एक अहम हिस्सा हैं.
- रसोईघर में लगे चमकदार टाइल्स या ग्रेनाइट से भी हानिकारक किरणें निकलती है. फ्रिज से भी हानिकारक गैसें उत्सर्जित होती रहती हैं.
- किचन से उठने वाली विषैली गैसों से बचाव के लिए विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दी हैं, जिन्हें अपनाकर गैस से होने वाले नुकसान के असर को कम किया जा सकता है.
- रसोईघर में चूल्हा दो से ढाई फुट की ऊँचाई पर ही रखना चाहिए.
- धुएं या गैस के निकास के लिए चिमनी या पाइप अवश्य हो. स्टोव चूल्हे के पीछे कुछ ऊँचाई पर खिड़की या एग्जास्ट फैन हो.
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- यदि हो सके तो बर्तन धोने की व्यवस्था किचन से बाहर हो. इस्तेमाल के बाद बर्तन तुरंत धो दें तो बेहतर है. यदि बर्तन सुबह धोने हैं तो उसमें जूठन निकाल कर, सादे पानी से धोकर रख दें.
- रसोई से उत्पन्न कूड़े जैसे vegetables peels, waste food आदि को कूड़ेदान में रसोईघर से बाहर रखें.
- धुआं रहित आधुनिक चूल्हों का प्रयोग करना चाहिए.
- सौर उर्जा के चलनेवाले सोलर कुकर का इस्तेमाल करना चाहिए.
- खाना खड़े होकर बनाएं और चूल्हे के पास कम से कम खड़े रहें.
- अधिक तापमान पर और धुएं में खाना कभी भी नहीं पकाना चाहिए.
- किचन में लगे सिंक में कास्टिक सोडा और एक चम्मच सिरका डाल कर आधा घंटे छोड़ दें. इससे सिंक साफ हो जाएगा.
- किचन की पूरी सफाई दिन में एक बार जरूर करें. मसाला या दाल आदि रखने वाले डब्बों को माह में एक बार अवश्य धोएं और उनमें रखी सामग्री को धूप दिखाएं. आपका घर कहीं भी हो वे धूल के कणों से अछूता नहीं होगा. और धूल में क्वाटर्ज कण, कीटनाशक, गैस, लवण, सल्फर डाईआक्साइड, गाड़ियों से निकली गैस आदि शामिल होते हैं. यह भी सच है कि केवल झाडू लगा देने भर से धूल नहीं जाती, बल्कि खिडकियों और उनकी जाली, फर्नीचर, सजावट का सामान, परदे या बिछी चादरें, कालीन आदि घर के सभी सामानों पर जमी धूल की सफाई करना जरूरी होता है.
अपने घर को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं-
- उजाले की लिए कमरे में रोशनदान का होना बेहद जरूरी है.
- यदि संभव हो तो कमरों में समय-समय पर प्राकृतिक पौधों के गमले रखें.
- कमरों में हर रोज झाडू पोंछा लगाएं.
- अँधेरे स्थानों, कोनों में कपूर की गोलियां रखें.
- पशु-पक्षी भी आदमियों की तरह गैसें विसर्जित करते हैं. यह जानते हुए भी कुछ लोग पालतू जानवरों को अपने पास अपने बिस्तर में सुला लेते हैं. यह जानवर देशी नस्ल का हो या विदेशी नस्ल का, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि पालतू जानवरों की अधिक निकटता और उनको दुलारने-सहलाने की प्रक्रिया इन्सान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इसलिए जरूरी है पालतू जानवरों के रहने वाले स्थानों पर हर रोज सफाई हो, पशु-पक्षियों को साफ रखा जाए और उनकी दुर्गन्ध को कम करने के लिए समय-समय पर सूखी नीम की पत्तियों का धुंआ किया जाए.
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- काकरोच मारने के लिए कपड़ों की धुलाई से बचे डिटर्जेंट के पानी से घर में पोंछा लगाएं या काकरोच प्रभावित क्षेत्र पर छिडकें. गेहूं का आटा, बोरिक एसिड और कच्चे दूध को समान मात्र में घोल कर प्रभावित क्षेत्र में छिडक दें. आजकल बाजार में कॉकरोच मारने के लिए HEAT आदि कई ब्रांड मिलते हैं. उनका भी प्रयोग निर्देशनुसार करना चाहिए.
- कपड़ों को कीड़ों से बचाने के लिए नेपथिलीन या कपूर की गोली, चन्दन पाउडर की थैली या नीम की पत्ती बहुत प्रभावशाली होती है.
- नमक, डेटाल और पीसी हल्दी मिलाकर पोंछा लगाने से चीटियाँ कम निकलती हैं. चीटियाँ से छुटकारा पाने के लिए पोंछे में तंबाकू का प्रयोग भी किया जा सकता है.
- मच्छर-मक्खी भगाने के लिए प्याज के रस को पोंछा लगाने वाले पानी में मिला दें. यह भी मच्छर-मक्खी को भगाने में लाभदायक होता है.
- यदि संभव हो तो वर्ष में एक बार अपने घर में पेस्ट कंट्रोल जरूर कराएं. इससे जहां वातावरण का प्रदूषण दूर होगा, वहीं आपको घर भर में घुमते कीड़े-मकोड़ों से भी छुटकारा मिल जाएगा. लेकिन इस बात का ध्यान आप हमेशा रखें कि पेस्ट कंट्रोल किसी अच्छी कम्पनी से ही कराएं.
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उपर्युक्त सभी प्रयासों से घर के अन्दर के वातावरण को pollution free रखा जा सकता है. हमें पहले अपने घरों को प्रदूषण मुक्त रखने का प्रयास करना चाहिए. उसके बाद ही हमें अपने आसपास की साफ़ सफाई और पर्यावरण की बात करनी चाहिए. हमें लगता है कि घर के अन्दर का प्रदूषण भी कुछ हद तक बाहरी प्रदूषण के लिये जिम्मेवार है. समय आ गया है कि हम pollution के हर पहलु पर विचार करें. तभी हम अपने घर को, आस-पड़ोस को, वातावरण या पर्यावरण को संरक्षित रख सकते हैं.
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