प्रस्तुत पोस्ट Oxygen Level, Pulse Oximeter and Covid 19 मिनिसोटा डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड CDC का 02 मार्च 2021 के आर्टिकल का हिंदी रूपांतर है. यह आगे कहता है कि किसी भी समय लोकल गाईडलाईन और इलाजरत डॉक्टर के अनुदेशों का पालन उस जगह के लिए बेहतर रहेगा. यानी यदि आप भारत के किसी डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं तो उस डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें. ऐसे सामान्य जन की जानकारी के लिए बहुत जरुरी है कि शरीर में ऑक्सीजन स्तर के मापन एवं उसके अन्य मानकों को कोविड-19 के सन्दर्भ में समझा जाय.
पल्स ऑक्सीमीटर और कोविड 19
जैसा कि आपको मालूम ही होगा कि पल्स ऑक्सीमीटर एक चिकित्सीय यन्त्र है जो हमारे शरीर मे ऑक्सीजन के स्तर को बताता है। शरीर के तापमान (बुखार) और ब्लड प्रेशर की तरह यह भी एक महत्वपूर्ण सूचक है जो बताता है कि शरीर कितना अच्छा काम कर रहा है। कई बार कोविड 19 के मरीज का ऑक्सीजन स्तर कम होने के बाबजूद उसे नॉर्मल महसूस होते रहता है। कम ऑक्सीजन स्तर एक खतरनाक लक्षण है जो इशारा करता है कि मरीज को चिकित्सीय सहायता की जरूरत है।
ऑक्सीमीटर कैसे काम करता है?
यह एक छोटा-सा यंत्र है जिसे किसी व्यक्ति के अंगुली में लगाया जाता है। उसके बाद इससे लाल रंग के पतली धागा जैसा प्रकाश की एक किरण निकलता है और अंगुली से पास करता है। ऑक्सीजन का लेवल/सैचुरेशन की गणना इस लाइट के सोखने पर निर्भर करता है। पल्स ऑक्सीमीटर रक्त में ऑक्सीजन शैचुरेशन की प्रतिशत मात्रा (%) को SPO2 वाले जगह पर बताता है।
ऑक्सीजन की मात्रा
कुछ क्रोनिक (लंबी) फेफड़े/लंग्स की बीमारी एवं नींद में साँस के रुकने की बीमारी जैसे अपवादों को छोड़ दें तो नॉर्मल ऑक्सीजन लेवल किसी के शरीर मे 95% या उससे ज्यादा होती है। अपवाद वाले ऐसे कुछ लोगों में नॉर्मल ऑक्सीजन का लेवल लगभग 90% होता है।
CDC की सीरियस (क्रिटिकल) कोविड की परिभाषा “वह व्यक्ति जिनकी साँस हरेक मिनट 30 से ज्यादा है और ऑक्सीजन का स्तर नॉर्मल हवा में साँस लेने पर 94% से कम है। (या क्रोनिक लंग/फेफड़े वाले मरीज और नींद में साँस रुकने की बीमारी वाले मरीज में उनके सामान्य दिनों में रहने वाली ऑक्सीजन स्तर से 3% कम)”।
पल्स ऑक्सीमीटर की रीडिंग को प्रभावित करने वाले कारक
कभी-कभी गहरे (डार्क) रंग वाले व्यक्तियों में प्लस ऑक्सीमीटर का रिजल्ट हल्के रंग वाले व्यक्ति की तुलना में एकदम सटीक नही भी हो सकता है और वास्तविक वैल्यू से “थोड़ा बढ़ा” भी आ सकता है। इस संभावना का ध्यान ऐसे व्यक्तियों के जाँच के वक्त जरूर रखना चाहिए।
निम्नलिखित हालात में शरीर मे ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के बाबजूद पल्स ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन का स्तर नॉर्मल( फाल्स नॉर्मल) दिख सकता है :-
1. साँस में तकलीफ
2. साँस की गति सामान्य से तेज होना
3. सामान्य कार्य करने में भी सुस्ती/थकान या अक्षम महसूस करना ! व्यक्ति को तुरंत किसी हेल्थ कर्मी से इन हालातों में मिलना चाहिए न कि नॉर्मल ऑक्सीजन स्तर समझ नजरअंदाज करना चाहिए।
किसी व्यक्ति के स्वस्थ या रोग शुरू होने पर ही जो spo2 का लेवल होता है वही उसका बेसलाइन (नॉर्मल) स्तर की तरह काम करता है। अगर किसी व्यक्ति का ऑक्सीजन उस व्यक्ति के बेसलाइन या 95% ( भारत मे 94%) से कम हो रहा हो तो उसे नजदीक के स्वस्थ्यय केंद्र से सम्पर्क करना चाहिए क्योंकि उसे बाहर से ऑक्सीजन लगाने की जरूरत पड़ सकती है।
सही सही ऑक्सीजन सैचुरेशन की माप कैसे करें?
निर्माता कंपनी द्वार पल्स ऑक्सीमीटर के साथ दिए गए साफ-सफाई निर्देशों का पालन करें। हरेक व्यक्ति जांच के पहले और बाद में सफाई निर्देशों पालन करें। पावर बटन को ऑन करें। अगर यह ढंग से ऑन नही हो रहा हो तो बैट्री चेक करें। अंगुली पर लगाएं और नम्बर दिखने तक इंतज़ार करें। प्लस ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन सैचुरेशन के अलावा हर्ट रेट भी दिख सकता है।
कुछ कारक जो पल्स ऑक्सीमीटर के सही रीडिंग में बाधा उत्पन्न करते हैं
1.डार्क/गहरा स्किन रंग
2. नेल पॉलिश
3. ठंढी अंगुली और कमजोर/कम रक्त प्रवाह
4. हाथों/अंगुली में थरथराहट/हिलना
5. पल्स ऑक्सीमीटर प्रोब/यंत्र पर बहुत अधिक दबाब
6. कम/लो ब्लड प्रेशर
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