Accept Your Criticism in Hindi
कहा गया है :-
निंदक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाय अर्थात अपने आलोचक को अपने नजदीक रखिये ताकि आपको अपनी कमी का पता चल सके और आप जीवन में आगे बढ़ने के लिए उब कमियों को दूर कर सकें. लोग कभी कभी यह कहते हैं कि अमुक व्यक्ति मेरी गलत आलोचना कर रहा है. गलत आलोचना या तो अज्ञानता वश या ईर्ष्या के कारण होता है.
> अज्ञानता :- जब आलोचना अज्ञानतावश होती है तो आलोचक को सही जानकारी देकर आसानी से स्थिति में सुधार लाया जा सकता है.
> ईर्ष्या :– जब ईर्ष्या के कारण आलोचना होती है तो उसे गुप्त तारीफ के रूप में स्वीकारें. आपकी आलोचना इसलिए हो रही है क्योंकि आलोचक खुद को आपकी जगह देखना चाहता है. लेकिन वह ऐसा न हो सकने की वजह से आपकी तारीफ के बजाय आलोचना करता है. जिस पेड़ पर सबसे ज्यादा फल लगे होते है पत्थर भी सबसे ज्यादा उसी पेड़ पर मारे जाते हैं.
रचनात्मक आलोचना को स्वीकार की काबिलियत न होना कमजोर स्वाभिमान का लक्षण है.
आलोचना को स्वीकार करने के कुछ सुझाव इस प्रकार हैं :-
आलोचना को सही ढंग से लें. इसे बड़प्पन के साथ स्वीकार करें न कि मनमुटाव के साथ.
> इससे सीख लें.
> खुले मन से इसे स्वीकारें, परखें और अगर ठीक लगे तो इस पर अमल करें.
> उस व्यक्ति के प्रति शुक्रगुजार हों जो आपकी रचनात्मक आलोचना करता है क्योंकि वह आपका शुभचिंतक है और आपकी सहायता करना चाहता है.
> ऊँचे स्वाभिमान वाला व्यक्ति रचनात्मक और सकारात्मक आलोचना स्वीकार कर बेहतर बनता है न कि ख़राब.
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vandana gupta says
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (30-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!