आपका कम्युनिकेशन कैसे होगा प्रभावशाली?
आपमें से ज्यादातर लोग communication skill शब्द से परिचित होंगे. हम छात्रों को प्रायः यह बात करते हुए सुनते हैं कि यार communication skill proper नहीं होने की वजह से मेरा selection नहीं हो पाया. कई बार बहुत सारे job seekers इफेक्टिव कम्युनिकेशन नहीं होने की वजह से चयन से वंचित रह जाते हैं. आज हम इस पोस्ट Communicate Effectively Hindi Tips में यह जानने की कोशिश करते हैं कि एक normal student भी इन टिप्स को follow कर अपने कम्युनिकेशन को प्रभावशाली बना सकता है.
जैसा कि आपको पता है कि communication english language का शब्द है जो मूलतः Latin word Commune से बना है. हिंदी में इसका मतलब है सम्प्रेषण या अपने शब्दों और विचारों को अभिव्यक्त करना या आदान- प्रदान करना. यह एक विधि है जिसके द्वारा एक व्यक्ति अपने विचार, अपने सन्देश, ज्ञान या अनुभव दूसरे व्यक्ति के साथ शेयर करता है. यह दो लोगों या उससे अधिक लोगों के बीच होने वाला एक process है जो oral, written या symbolic हो सकता है. इसे इंग्लिश में body language भी कहते हैं.
Communication तीन प्रकार से किया जाता है:
1. स्व-संवाद: इसमें व्यक्ति खुद से बात करता है या अपनी अनुभूति या अपने विचारों को शब्द में पिरोने का प्रयास करता है.
2. परिसंवाद: इसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से बात करता है. इस तरह के सम्प्रेषण के लिए चार बातें ध्यान देने योग्य हैं – संप्रेषक, सन्देश, संग्राहक और संग्राहक की अभिव्यक्ति. विचारों के विनिमय के दौरान दोनों की बातचीत का टोन यानि स्वर बदलता रहता है.
3. समूह सम्प्रेषण: जब कोई व्यक्ति अनेक लोगों के समूह में अपना भाव प्रकट करता है तो उसे समूह सम्प्रेषण कहते हैं. ग्रुप के आकार के अनुसार communication की फोर्मल्टी बढ़ जाती है. अतः यह informal न होकर formal बन जाता है.
Group communication को असरदार बनाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना बहुत जरुरी हो जाता है. जो इस प्रकार हैं:
4. सम्प्रेषण को प्रभावशाली बनाने के लिए आत्मविश्वास पैदा करने की आवश्यकता है. इसके लिए वक्ता अपने निजी अनुभव के आधार पर विचार व्यक्त करे, क्योंकि दूसरे व्यक्ति के उधार लिए विचार या अनुभव सहज नहीं होते.
5. वाणी प्रभावशाली होनी चाहिए. आत्मविश्वास से भरे शब्दों का प्रयोग हो और वक्ता के व्यक्तित्व में आकर्षण हो तो श्रोता स्वत: शांत होकर शांत वातावरण का निर्माण करते हैं.
6. श्रोताओं की मानसिकता, संख्या एवं उद्देश्य के अनुसार वक्तव्य में लचीलापन होना चाहिए.
7. एक ही दिशा में देखना, नीचे-ऊपर या बाहर की ओर देखना- इसमें श्रोताओं से सम्पर्क नहीं रहता है.
8. आज नई तकनीक का युग है. प्राय: सभी संस्थानों एवं औद्दोगिक प्रतिष्ठानों में विभिन्न प्रकार की बैठकें, गोष्ठियाँ, या कार्यशालाएँ आयोजित की जाती है, इसमें प्रबन्धक और अधीनस्थ कर्मचारियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान होता है. प्रबन्धक की जिम्मेदारी है कि समय के अंदर उनसे कार्य-लक्ष्य या उत्पादन-लक्ष्य की पूर्ति करवाना.
आज किसी भी प्रतिष्ठान की प्रगति आदेश से नहीं,बल्कि सभी के आपसी सहयोग से ही संभव है. प्रबन्धक की दक्षता एस बात में है कि वह किन अवसरों पर, किन परिस्थितियों में, किन लोगों के साथ सम्प्रेषण की कौन-सी तकनीक अपनाता है. उदाहरण के लिए, किसी कर्मचारी की प्रशंसा करनी हो तो इसे जोर-शोर से सबके सामने करनी होगी. यदि किसी गलती को सुधारना हो, डांट-फटकार करनी हो तो उसे बंद कमरे में कर्मचारी को बुलाकर करनी चाहिए, जिससे दोनों की प्रतिष्ठा पर आँच न आए.
बदलते जमाने की आवश्यकता के अनुरूप कार्य-संस्कृति में निरंतर परिवर्तन लाना जरूरी है, जो सम्प्रेषण द्वारा ही संभव है.
सम्प्रेषण की आवश्यकता निम्न बातों से स्पष्ट होती है.
1. आज उत्पादन, गुणवता एवं प्रतिष्ठान की प्रगति का संबंध तकनीकी दक्षता से ज्यादा कर्मचारियों की अनुप्रेरणा एवं उत्साह से जुड़ा है.
2 . प्रत्येक कर्मचारी प्रबन्धन से कुछ जानना चाहता है.
3. कर्मचारी स्पष्ट तौर से कार्य आदेश चाहते हैं.
4. वे संस्थान की नीतियां, उसके उद्देश्य, उत्पादों आदि की जानकारी चाहते हैं.
5. वे अपने हितों के बारे में सूचना चाहते हैं. जैसे – मेडिकेयर, सुरक्षा के उपाय, प्रमोशन की संभावनाए, वातावरण में सुधार आदि.
किसी संस्थान/औद्दोगिक प्रतिष्ठान में प्रभावी कम्युनिकेशन से निम्नलिखित लाभ होते हैं.
1. उनकी कार्यक्षमता बढती है.
2. टीम भावना का विकास होता है.
3. प्रतिष्ठान की साख बढती है.
4. सम्प्रेषण एक कला है. आप एक ही बात दूसरे लोगों को अनेक प्रकार से पहुंचा सकते हैं, लेकिन उसका प्रभाव एक-सा नहीं होता. कभी-कभी वे अर्थ का अनर्थ कर देते हैं. अत: जरूरी है कि प्रभावी संप्रेषण में तकनीक का प्रयोग किया जाए.
प्रभावशाली संवाद के लिए कुछ जरूरी बातें (Communicate Effectively Hindi Tips)
क्या संदेश देना है, इसके निर्माण करने में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें.
1. जिस व्यक्ति को संदेश देना है उसका ज्ञान-स्तर क्या है?उसकी भाषा, शिक्षा,अनुभव, विषय में रुचि को देखें.
2. जो संदेश आप देना चाहते हैं, क्या वह पर्याप्त है, कम या ज्यादा तो नहीं ? आपकी दक्षता इसी में है कि सीमित शब्दों में गूढ़-से गूढ़ बातें दूसरे व्यक्ति तक पहुँच जाएँ और कम समय में संप्रेषण सफल हो.
3. आपके शब्दों के अर्थ का अनर्थ न हो. इसके लिए आप अपने संदेश में सरल एवं उपयुक्त शब्दों का चयन करें, व्याकरण पर विशेष ध्यान दें, जिससे आपके वाक्य का अर्थ दूसरा व्यक्ति आसानी-से समझ सके और वह अपनी सही प्रतिक्रिया व्यक्त कर सके.
4. संदेश में तथ्यों को स्पष्ट करें, जिससे किसी प्रकार की भ्रान्ति पैदा न हो.
5. जान-बूझ के किसी आवश्यक तथ्य को न छिपायें, जिसकी जानकारी दूसरा व्यक्ति चाहता है, अन्यथा इसके पीछे आपका अहम ही समझा जाएगा, जिसके कारण आपका सम्प्रेषण बेअसर होगा.
6. सम्प्रेषण के अवरोधों की जाँच करके उन्हें दूर करें, जिससे दूसरा व्यक्ति अपनी प्रतिक्रिया कर सके और सम्प्रेषण सफल हो.
7. कम्युनिकेशन समय के अनुकूल हो, जिससे दूसरे व्यक्ति की विषय में रुचि बढ़े.
8. किसी भी सम्प्रेषण की सफलता के लिए यह जरूरी है कि संदेश के निर्माण के समय आपके अंदर यह भाव हो कि मैं भी इसमें व्यक्त कर रहा हूँ, वह महत्वपूर्ण है. इससे आपके आत्मविश्वास की झलक दूसरे व्यक्ति को प्रतीत होगी और उसपर इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा.
9. आपके विचार अभिव्यक्ति जटिल न हो, अन्यथा संदेश में तथ्यों का समायोजन बेढंगा होगा, जो दूसरे व्यक्ति को रूचिकर नहीं लगेगा.
10. यदि आप कोई Big message देना चाहते हैं, तो बीच में feedback की तकनीक अपनाएं, जिससे दूसरे व्यक्ति की स्मृति में मूल विषय बना रहे.
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