Wood Apple Medicinal Value बेल फल का औषधीय गुण एवं प्रयोग
बेल फल बच्चों के लिए लाभकारी
छोटे बच्चों के दांत निकलते समय अक्सर दस्त की शिकायत हो जाती है। ऐसे में बिल्व का चूर्ण उन्हें अल्पमात्रा में चटा देने से फायदा मिलता है। दोपहर के वक्त बेल शर्बत भी अल्पमात्रा में चटाने से लू आदि की संभावना कम हो जाती है।
भूख न लगे
जठराग्नि मन्द हो जाने पर भूख मर जाती है। खाया– पिया हजम नहीं होता। ऐसे में बेल के पके गूदे में, पचास ग्राम पानी में फूली इमली और पचास ग्राम दही में थोड़ा बूरा मिला मिक्सी में घोंट लें। यह पेय स्वादिष्ट, पचने में आसान, भूख बढ़ाने वाला, चुस्ती देने वाला शर्बत है। कुछ दिन नियमित लें। अजीर्ण– बेल की पत्तियों के दस ग्राम रस में एक–एक ग्राम काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर पिलाने से आराम मिल सकता है। अतिसार– अतिसार की शिकायत होने पर ठंडे पानी में 5-10 ग्राम बिल्व चूर्ण मिलाकर पीने से आराम पहुंचाता है।
कब्ज
कब्ज (Constipation) से पेट– सीने में जलन रहने लगती है। ऐसी स्थिति में पचास ग्राम गूदे में, पच्चीस ग्राम पिसी हुई मिश्री और ढाई सौ ग्राम जल मिलाकर शर्बत बना लें। रोज़ पीने से कब्ज़ नष्ट खत्म हो जाती है और आराम मिलता है।
आंव आने पर
पाचनतंत्र में खराबी के कारण आंव आने लगती है, जो कुछ ही समय में रोगी को काफी कमजोर कर देता है। ऐसे में बेलगिरी और आम की गुठली की गिरी बराबर मात्रा में कूटकर छान लें। आधा ग्राम चूर्ण सुबह चावल की माड के साथ सेवन करें। यह आधा ग्राम चूर्ण पहले दिन दो– दो घंटे बाद चार बार, दूसरे दिन सुबह–दोपहर और तीसरे दिन सिर्फ़ सुबह लें। आंव बंद हो जाएगा और कमजोरी नहीं आएगी। जब आंव बन्द हो जाने पर चूर्ण न लें।
हैजा
हैजा की स्थिति में मरीज को तुरंत बेल का शरबत या बिल्व चूर्ण गर्म पानी के साथ देना चाहिए। इससे दस्त बंद हो जाती है और शरीर को ताकत मिलती है। आंतों की मरोड़ भी खत्म हो जाती है और मरीज को कुछ ही देर में आराम मिलने लगता है। यदि बेल का मुरब्बा उपलब्ध हो तो उसे भी खिलाया जा सकता है।
दमा व कफ (Asthma and Cough)
कुछ लोगों को हमेशा कफ की शिकायत रहती है। हर मौसम में उन्हें ऐसा लगता है, जैसे गले में कुछ फंसा हुआ है। कफ की वजह से कई बार तेज खांसी भी आती है। रोगी रातभर सो नहीं पाता। ऐसी स्थिति में सौ ग्राम बेल गूदा आधा किलो पानी में हल्की आंच में पकायें। करीब तीन सौ ग्राम रह जाने पर उतारकर छान लें। एक किलो मिश्री की एक तार चाशनी बनाकर इसमें मिलाएं। एक रती भर केसर और थोड़ी जावित्री डालकर इसे सुगंधित और पुष्टिकर बना लें। गुनगुना करके पिएं। कफ कटकर निकल जाएगा।
सर्दी के मौसम में जिन्हें कफ की शिकायत रहती है, वे भी इसका सेवन करें तो कफ की समस्या समाप्त हो जाएगी। इसी तरह दमा में कफ निकालने के लिए बेल की पत्तियों का काढ़ा दस–दस ग्राम सुबह–शाम शहद मिला कर पीना चाहिए। शहद की अनुपलब्धता पर पांच ग्राम रस में पांच ग्राम सरसों का शुद्ध तेल मिलाकर भी पिलाया जा सकता है।
वीर्य दोष
पचास ग्राम सूखे बेल पत्तों का चूर्ण, तीन ग्राम मात्रा में एक चम्मच शहद के साथ सुबह–शाम देने अथवा पक्के गूदे में थोड़ी मलाई मिलाकर खाने से मूत्र और वीर्य दोष नष्ट हो जाते हैं।
ल्युकोरिया (Leukoria)
इस तरह की समस्या होने पर बेलगिरी को रसौत और नागकेसर समान मात्रा में कूट– पीस कर कपड़े से छान लेना चाहिए और पांच ग्राम चूर्ण, चावल के मांड के साथ दिन में दो या तीन बार दें। करीब सप्ताहभर बाद इसका असर दिखने लगेगा।
पीलिया (Jaundice)
खानपान में हुए बदलाव और प्रदूषण के कारण पीलिया के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में बेल का सेवन हमें पीलिया से बचा सकता है। यदि किसी को पीलिया की शिकायत हो भी जाए तो उसके लिए बेल काफी लाभकारी साबित होती है। पीलिया में बेल की कोंपलों का पचास ग्राम रस, एक ग्राम पिसी काली मिर्च मिलाकर सुबह–शाम पिलाना लाभकारी रहता है।
मुंह में छाले
यदि मुंह में छाले हो तो सौ ग्राम पानी में थोड़ी सी बेल की गूदा उबाल लें और कुछ देर ठंडा होने के लिए रख दें। जब यह पानी ठंडा हो जाए तो उससे कुल्ले करें, दो दिन में मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।
रक्तशोधन (Blood Purification)
आयुर्वेद में बेल को रक्तशोधक के रूप में भी जाना जाता है। बेलवृक्ष की पचास ग्राम जड़, बीस ग्राम गोखरू के साथ पीसकर छान लें। सुबह एक छोटा चम्मच चूर्ण आधा कप खौलते पानी में घोलें। मिश्री या शहद मिला कर गरमा– गरम पी जाएं। कुछ ही दिनों तक नियमित प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
सिर दर्द (Headache)
सिर दर्द होने पर बेल पत्रों के रस से भीगी पट्टी सिर पर रखें। यदि पुराना सिर दर्द हो तो बेल पत्रों के रस में थोड़ा पानी मिलाकर पिएं। मोच आने पर– यदि किसी भी स्थान पर मोच आ गई हो अथवा अंदरूनी चोट आई हो तो बेल के पत्ते का प्रयोग किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में बेल पत्रों को पीस कर थोड़े गुड़ में पकाइए। फिर इसका लेपन कर ऊपर से कपड़ा बांध दीजिए। तीन–चार दिनों तक यह प्रयोग करने से दर्द दूर हो जाएगा और सूजन भी खत्म हो जाएगी।
आंखों के लिए (For eyes)
आंखें दुखने पर बेल पत्तों का रस, स्वच्छ पतले वस्त्र से छानकर एक–दो बूंद आंखों में टपकाएं। इससे दुखती आंखों की पीड़ा, चुभन, शूल ठीक हो जाएगी और नेत्र ज्योति बढ़ेगी।
जलने पर
जल जाने पर बिल्व चूर्ण, गरम किए तेल को ठंडा करके पेस्ट बना लें। जले अंग पर लेप करने से फौरन आराम आएगा। चूर्ण न होने पर बेल का पक्का गूदा साफ़ करके भी लेपा जा सकता है।सांप के काटने पर– सांप के काटने पर मरीज को तुरंत बेल का शर्बत देना चाहिए। बेल मौजूद न हो तो बेल की पत्ती पीस कर मरीज को पिला देनी चाहिए और तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इसी तरह अन्य कोई विषैली मक्खी अथवा कोई जानवर काट ले तो भी प्राथमिक उपचार के रूप में बेल खिला देनी चाहिए। इससे विष का असर कम हो जाता है।
Wood Apple Medicinal Value बेल फल /बेल का अन्य प्रयोग
बेल का अचार
कुछ स्थानों पर बेल का अचार भी बनाया जाता है, लेकिन कच्चा होने के बाद भी इसमें कुछ मिठास–सी होती है। इसलिए इसके अचार खाने का चलन कम है। फिर भी दो किलो बेल का अचार बनाने के लिए पहले बेल को काट लेते हैं। उसमें मौजूद बीज को किसी तिली की सहायता से निकाल लेते हैं। फिर उसके छोटे–छोटे टूकड़े काट कर उबाल लें। पानी से छानने के बाद थोड़ी देर सूखा दें। फिर उसमें काला नमक, सेंधा नमक व खाने वाला आयोडीन नमक 100 -100 ग्राम मिला लें। इसके अलावा अजवाइन, जीरा, हल्दी मिलाकर अच्छी तरह चलाएं। हल्का–सा तेल डालकर सप्ताहभर तक प्रयोग किया जा सकता है।
सादा अचार
कुछ लोग बिना तेल का भी बेल का अचार बनाते हैं। इसके लिए छोटे कच्चे बेल के फलों का संग्रह करके उन्हें अच्छी तरह छीलकर गोल–गोल कतरे नुमा टुकड़े काटकर सुखा दें। फिर इसमें नमक व अन्य मसाला स्वादानुसार मिलाकर मुखबंद डिब्बों में नमी रहती शीतल स्थान में रखना चाहिए।
बेल का मुरब्बा
आजकल बेल का मुरब्बा बनाने का चलन ज्यादा है। आमतौर पर हर परिवार में बेल का मुरब्बा रखा जाता है। इसे बनाने में कोई खास मसाले की भी जरूरत नहीं पड़ती है। दो किलो बेल का मुरब्बे बस एक किलो चीनी, आधा चम्मच फिटकरी से तैयार किया जा सकता है। पहले बेल को अच्छी तरह छीलकर उसे काट लें। इसके टुकड़े को बीच से बीज निकालें। फिर इसे थोड़े से पानी में उबाले। उबलने के बाद छान लें और चीनी से तैयार सीरे में डूबो दें। सीरे को साफ करने के लिए फिटकरी व खाने वाला सोडा भी डाल सकते हैं।
कैसे बनाएं बेल का शर्बत
बेल का शर्बत बनाना सबसे आसान है। पके बेल की खोपड़ी तोड़ कर गुदा निकाल लें। फिर इसे पानी में मसल कर बीज व इसकी जालियों को निकाल लें। इसके बाद स्वादानुसार चीनी मिलाकर बेल के शर्बत का सेवन करें। स्वादानुसार पुदीना भी मिला सकते हैं।
सावधानी Precautions
औषधियों में प्रयुक्त होने वाले बेल के फलों का अधिक सेवन बवासीर के रोगियों के लिए अहितकर होता है। इसके अतिरिक्त गूदे में बीज दोहरी झिल्ली के बीच होते हैं, जिसमें लेसदार द्रव होता है। इसे झिल्ली और बीजों सहित न निकालने पर मुख में छाले होने की संभावना रहती है।
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