प्रस्तुत पोस्ट Hindi Poems for Kids में बच्चों के लिए कुछ कवितायें दी गई हैं. उम्मीद है कि ये आपको पसंद आयेंगी.
ईश्वर
किसने सूरज चांद बनाया?
किसने तारों को चमकाया?
किसने फूलों को महकाया?
किसने है संसार बसाया?
कलियों को खिलना सिखलाया?
मेरा लट्टू
रस्सी से जो इसे लपेटा,
दिया जोर का एक झपेटा,
देखो धरती चूम रहा है,
मेरा लट्टू घूम रहा है।
सरकस के अंदर
हम पहुंचे सरकस के अंदर
कार चलाता देखा बंदर।
कुत्ता साइकिल चला रहा था,
बंदर पानी पिला रहा था।
काला भालू नाच रहा था,
तोता पुस्तक बांच रहा था।
लाला जी ने केला खाया
लाला जी ने केला खाया,
केला खाकर, मुंह पिचकाकर
छिलका उसका वहीं गिराया।
तोंद फुलाकर, छड़ी उठाकर,
लाला जी ने कदम बढ़ाया।
पैर के नीचे छिलका आया,
लाला फिसले वहीं धड़ाम।
मुंह से निकला – हाय राम।
कंप्यूटर
सबसे प्यारा मेरा कंप्यूटर,
देता सब बातों का उत्तर,
मदद करता मेरी,
चाहे दिन हो या रात,
यह खेल भी करता,
दिन भर मेरे साथ।
मोटे लाला
मोटे लाला पिलपिले,
धाएं कुंए में गिर पड़े।
गप गप गोते खाते हैं,
हाय हाय चिल्लाते हैं।
सीधा मंदिर जाएगा,
अब तो राम ही बचाएगा।
बत्ती
लाल बत्ती कहती थम,
चलते चलते रुकते हम।
पीली कहती होशियार,
रुकने को हो जाओ तैयार।
हरी बताए चलते जाओ,
आगे आगे बढ़ते जाओ।
बरसा पानी
रिम झिम रिम झिम बरसा पानी,
ठंडी ठंडी हवा चली,
गरमी सारी दूर भागी
छायी सावन की घटा।
बादल
उमड़ घुमड़कर बादल आते,
सारे नील गगन पर छा जाते।
बिजली खूब चमकती चम चम,
पानी खूब बरसता झम झम।
मेंढक बोल रहे हैं टर टर,
ठंडी हवा बही है सर सर।
नमस्ते जी, नमस्ते
नमस्ते जी, नमस्ते जी,
संभालो अपने बस्ते जी।
हो गई छुट्टी घर को भागे,
तुम पीछे हम आगे आगे।
चलो तुम अपने रास्ते जी,
नमस्ते जी, नमस्ते जी।
दीप जलाओ
खुशियों का त्योहार दीवाली
आई रे! दीप जलाओ।
खेल खिलौने और मिठाई
लाई रे! दीप जलाओ।
सबको हँस कर गले लगाओ
भाई रे! दीप जलाओ।
मोर
देखो बच्चो, देखो मोर,
बागों में मचाता है शोर,
सुंदर सुंदर पंख हैं प्यारे,
उन पर रंग बिरंगे तारे।
काले बादल
नीले नभ पर काले बादल,
वर्षा के मतवाले बादल।
मत गरजो, मत शोर मचाओ,
केवल शीतल जल बरसाओ।
धरती मां की प्यास बुझाओ,
चका चौंध बिजली चमकाओ।
चाट वाला
मम्मी चाट वाला आया,
मम्मी चाट वाला आया,
खट्टी मीठी चाट लाया,
उसमें डाला है अमचूर,
मैं तो खाऊंगी जरूर।
बिल्ली मौसी
बिल्ली मौसी, बिल्ली मौसी,
कहो कहां से आई हो,
कितने चूहे मारे तुमने,
कितने खाकर आई हो,
क्या बताऊं शीला बहन,
आज नहीं कुछ पेट भरा
एक ही चूहा मारा मैंने
वो भी बिल्कुल सड़ा हुआ।
चंदा मामा
चंदा मामा आओ न,
आकर चांदनी फैलाओ न,
मैं बैठी हूं अंधेरे में,
तुम रोशनी कर जाओ न।
तारों को साथ में लाना,
मेरे दिल को बहलाना।
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Ruchi singh Chauhan says
आपका पोस्ट पढ़ने में बहुत दिलचस्प है। यह बहुत जानकारी पूर्ण और सहायक है। आमतौर पर, मैं कभी भी ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं करती हूं लेकिन आपका लेख इतना आश्वस्त करता है कि मैं खुद को इसके बारे में कहने के लिए नहीं रोक पाई । आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, इसे बनाए रखें।