प्रस्तुत पोस्ट Bitter Gourd Benefits in Hindi करेला के फायदे में हम गुणकारी करेला के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।
करेला के औषधीय गुण
वैसे तो सभी लोग सब्जियों का उपयोग अपने सामर्थ्य के अनुसार करते ही हैं, परंतु इनका उपयोग यदि चिकित्सा की दृष्टि से किया जाए तो अनेक छोटे-बड़े रोगों से छुटकारा मिल सकता है। विश्व की अधिकांश चिकित्सा पद्धतियों-आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, तिब्बती आदि में अनेक प्रकार की वनस्पतियों यानी फलों-सब्जियों एवं उनके अवयवों आदि का उपयोग ही अधिक होता है। इस आलेख में करेला के औषधीय गुणों का विवेचन किया गया है।
अति गुणकारी करेले के अवयव
करेला औषधीय गुणों से युक्त सब्जी है जो संपूर्ण भारत में उगाई जाती है। करेला 10 से 20 सेमी. तक लंबा, सिरे पर शुंडाकार और खुरदरी रचना से ढका होता है। इसके बीज कच्ची अवस्था में सफेद और पक जाने पर लाल होते हैं।
इसकी दो किस्में होती हैं। करेले की अधिकतर किस्मों के रासायनिक विश्लेषण से ज्ञात होता है कि प्रति 100 ग्राम खाने योग्य भाग में आर्दता 92.4, प्रोटीन 15. वसा 0.2, खनिज पदार्थ 0.3 रेशा 0.8 और कार्बोहाइड्रेट 42 प्रतिशत होता है। इसमें निहित खनिज पदार्थ और विटामिन प्रति 100 ग्राम पर कैल्शियम 20, कैलॉरी 25, फास्फोरस 70, लौह 18, थायमिन 0.07, रिबोफ्लेविन 0.08, नायसिन 0.5 और विटामिन ‘सी’ 88 मि.ग्रा. रहता है।
करेले में उत्कृष्ट औषधीय गुण होते हैं। यह प्रतिकारक, ज्वरहारी टॉनिक, क्षुधावर्धक, पाचक, पित्तनाशक और मृदुरेचक होता है। इसमें सभी विटामिन और खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में होते हैं, यथा-विटामिन ‘ए’, ‘बी-1’, ‘बी2’, ‘सी’ और लौह । इसका सेवन कई समस्याओं, जैसे उच्च रक्तचाप, आंख रोग, तंत्रिका शोथ और कार्बोहाइड्रेट की दोषपूर्ण मेटाबॉलिज्म को कम करता है। यह संक्रमण के विरुद्ध शरीर की प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि करता है।
मधुमेह में लाभकारी
अति प्राचीनकाल से ही करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में विशेष रूप से उपयोग में लाया जाता है। ब्रिटिश डॉक्टरों के एक दल ने अनुसंधानों से यह सिद्ध कर दिया है कि इसमें हाइपोग्लाइकेमिक या इंसुलिन जैसा रसायन विद्यमान रहता है।
इसे प्लांट इंसुलिन कहा जाता है, जोकि रक्त और मूत्र शर्करा के स्तर को कम करने में बहुत लाभकारी है। अतः मधुमेह के रोगी के आहार में इसे उदारता से शामिल किया जाना चाहिए। अच्छे परिणाम के लिए मधुमेह के रोगी को प्रत्येक सुबह खाली पेट चार या पांच करेलों का रस लेना चाहिए। करेले के बीज को पीसकर भोजन में भी लिया जा सकता है। करेला रक्त संबंधी अनियमितताओं, जैसे- रक्त का फोड़ा, खुरंड, छाले, दाद और अन्य फंगस जैसी बीमारियों में अति लाभकारी है। इन अवस्थाओं में करेले के एक कप रस में नींबू का एक चम्मच रस मिलाकर प्रतिदिन चार से छह महीने धीरे-धीरे पीना चाहिए।
अति प्राचीनकाल से ही श्वसन संबंधी अनियमितताओं के लिए देशी औषधियों में करेले की जड़ का उपयोग किया जाता है। यह दमा, बोंकाइटिस, सर्दी और राइनिदिस में उत्तम दवा का कार्य करता है।
करेले की ताजा पत्तियों का रस बवासीर में उपयोगी है। इस दशा में एक गिलास छाछ में करेले के पत्तों का तीन चम्मच रस एक महीने तक लेना चाहिए।
अल्कोहलिज्म के उपचार के लिए करेले के पत्तों का रस उपयोगी है। यह अल्कोहल के नशे का अंत करता है और नशे के कारण यकृत को होने वाले नुकसान में भी उपयोगी है। गरमी में करेले के ताजा पत्तों का रस डायरिया में भी प्रभावी दवा है।
करेले से विभिन्न तरह की सब्जियां बनाई जाती हैं। पके फल के बीजों का उपयोग भारत में मसाले के रूप में किया जाता है। एशिया और अफ्रीका में देशी दवाओं में करेले का उपयोग किया जाता है।
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