प्रस्तुत पोस्ट Rani RupaDe Biography in Hindi रानी रूपा दे की जीवनी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे । रानी रूपा दे को राजस्थानी समाज में बहुत सम्मान और आदर प्राप्त है।

Rani Rupa De Biography in Hindi रानी रूपा दे की जीवनी
सबसे पहले इन पंक्तियों पर गौर फरमाएं:
साध रै घर संखणो, फूहड़ रै घर नार रै।
रोइडे ने रूप दियो, भूल गयो करतार रै।।
उक्त विचार रूपा दे के हैं। वह एक संत कवयित्री थीं। उसे संत रामदेव में बहुत श्रद्धा थी। रूपा दे के भजनों में तत्कालीन रूढ़ियों पर कड़ा कुठाराघात है। उसने व्यर्थ के रीति-रिवाजों को तोड़ कर समाज में नई प्रेरणा जगाने का आग्रह किया।
उस समय इस विचार की कल्पना भी कठिन थी किंतु रूपा दे ने छुआ-छूत व ऊंच-नीच के विचारों का खंडन किया। वह एक दृढ़ व्यक्तित्व की स्वामिनी थी इसलिए उसे अपनी बात प्रस्तुत करने में संकोच नहीं होता था। उसके भजनों की भाषा सरल व सहज थी। उनकी शादी महोबा के रावलमल के साथ हुई थी। रावलमल बाड़मेर जिले के महोबा के शासक राव सलखाजी के सबसे बड़े पुत्र थे। रावलमल को पत्नी की भक्ति-संगीत आदि पसंद नहीं था। रूपा दे रामदेव जी के जागरणों में जाती थी। पति को संदेह हुआ कि पत्नी का चरित्र भ्रष्ट है। उसने एक बार क्रोध में आकर पत्नी की हत्या का प्रयास भी किया।
पति का ह्रदय परिवर्तन
एक दिन रूपा दे रामदेव के जागरण के लिए तैयार हुई। मेघवाल के घर रामदेव जी आने वाले थे। रावलमल का मन शंका से भर उठा। उसने सोचा कि वह मेघवाल के लिए कोई सौगात छिपा कर ले जा रही है। क्रोध में आकर उसने थाली का कपड़ा उठाया तो थाली फूलों से भरी थी।
रावलमल के मन का मैल धुल गया और उसने भी भक्ति का पथ अपनाया। रावलमल अपनी भक्ति के बल पर संत मल्लीनाथ कहलाया। रावल मल्लीनाथ राजस्थान के 14वीं सदी के लोक नायक हैं। वे और उनकी पत्नी, रानी रूपा दे, पश्चिमी राजस्थान में लोक संतों के रूप में पूजनीय हैं। स्थानीय समाज में रूपा दे की भक्ति से जुड़े अनेक चमत्कार सुनने को मिलते हैं। वह एक महान नारी थी। इस भारतीय स्त्री-नत्न को सादर नमन!
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