जब भी टाटा समूह की चर्चा होती है जे.आर.डी. टाटा जी का नाम सहसा हमें स्मरण हो आता है. भारतीय उद्योग जगत के प्रमुख स्तंभ जे. आर. डी. टाटा बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे. भारतीय कंपनी जगत में उन्हें कार्पोरेट गवर्नेस (Corporate governance ) और सामाजिक दायित्व (Social responsibilities) की परिकल्पनाओं को पहली बार लागू करने वाले उद्यमी के रूप में जाना जाता है. प्रस्तुत पोस्ट J R D Tata Biography in Hindi में हम उनकी जीवनी को संक्षेप में जानने का प्रयास करेंगे.
जे.आर.डी.टाटा के नाम से मशहूर जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा ने कर्मचारियों के कल्याण के उद्देश्य से कई ऐसी योजनाएं शुरू की, जिन्हें बाद में भारत सरकार ने कानूनी मान्यता देते हुए अपना लिया.
टाटा समूह ने जेआरडी के कुशल नेतृत्व में आठ घंटे का कार्यदिवस, निःशुल्क चिकित्सा सहायता, भविष्य निधि योजना और कामगार दुर्घटना मुआवजा योजना जैसी सामाजिक दायित्व वाली कई योजनाओं को देश में पहली बार शुरू किया.
J R D Tata Biography in Hindi जे.आर.डी.टाटा जीवन परिचय
जे.आर.डी. का जन्म 29 जुलाई, 1904 को पेरिस, फ्रांस में हुआ. वे रतनजी दादाभाई टाटा और उनकी फ्रांसीसी पत्नी सुजाने की पांच संतानों में दूसरे नम्बर पर थे. उनके पिता रतनजी दादाभाई टाटा, दादाभाई टाटा के पुत्र थे जो नुशेरवनजी टाटा के बहनोई होने के साथ साथ टाटा घराने के सुप्रसिद्ध संस्थापक जमशेद जी नुशेरवनजी टाटा के दूर के सम्बन्धी भी थे. जमशेद जी नुशेरवनजी टाटा एंड संस की स्थापना की थी और अपने सबसे बड़े बेटे दोराब और छोटे चचेरे भाई को अपने कारोबार का हिस्सेदार बनाया था.
जेआरडी ने फ्रांस, जापान और इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण की और फ्रांसीसी सेना में एक वर्ष का अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण लिया.
जे.आर.डी. द्वारा किये गए महत्वपूर्ण कार्य
वर्ष 1925 में बिना वेतन वाले प्रशिक्षु के रूप में टाटा एंड संस में काम शुरू किया. उन्हें देश का पहला पायलट होने का भी गौरव प्राप्त है. उन्होंने टाटा एयरलाइन्स बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यही बाद में एयर इंडिया बनी. उन्होंने विमान उड़ाने के अपने शौक को 1932 में टाटा एविएशन सर्विस की शुरुआत करके पूरा किया. सिर्फ 34 वर्ष की उम्र में जे.आर.डी. टाटा एंड संस के अध्यक्ष चुने गए.
उन्होंने 1948 में एयर इंडिया इंटरनेशनल की भारत की पहली अन्तर्राष्ट्रीय एयरलाइन की शुरूआत की. भारत सरकार ने उनको 1953 में एयर इंडिया का अध्यक्ष नियुक्त किया.
कर्मचारियों के हितों का बेहद ध्यान रखनेवाले जे.आर.डी. के नेतृत्व में टाटा स्टील ने एक नई परिकल्पना शुरू की. इसके तहत् यदि कार्यस्थल आते जाते समय कामगार के साथ कोई दुर्घटना होती है तो कंपनी इसके लिए वित्तीय रूप से जिम्मेदारी होगी.
जे.आर.डी. को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. भारत सरकार ने उन्हें 1957 में पदमविभूषण से सम्मानित किया. बाद में 1992 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
भारत के इस विख्यात उद्योगपति का 29 नवंबर, 1993 को जिनेवा के एक अस्पताल में निधन हो गया.
वे अपने आदर्शों और वसूलों के लिए लोकप्रिय थे. एक ऐसा व्यक्ति जिसका अपना एयरलाइन्स था उन्होंने कभी भी नियमों को नहीं तोडा. कहा जाता है कि जब उनको कभी हवाई जहाज में यात्रा करनी होती तो वे भी सामान्य यात्री की तरह कतार में लगकर सारी औपचारिकतायें पूरी करते हैं. आज भी उनके द्वारा स्थापित संस्थान निरंतर देश की सेवा में लगा हुआ है. ऐसे महान विभूति को शत शत नमन!
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